Book Title: Dharmopadeshmala prakaranam
Author(s): Jaysinhsuri, Chandanbalashree
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 374
________________ [सविवरणं धर्मोपदेशमालाप्रकरणम् [ ] ३०२ १७ २६८ ३१८] वम्महढयराणुगओ वस-रुहिर-मासवसणम्मि अणुब्बिग्गा वसणम्मि न उव्विग्गा वसभे य इंदकेऊ वसहिकहणिसेज्जिदिय वाणारसीए बडुओ वित्तीओ सुवन्नस्स वोलीणाणागयवट्टमाण १५९ ५१ २८६ [आ.नि.भा./२०६] [च.मू./१०] [ ] [स.र./३१] [आउ./२७] [स] २५ २९४ २०८ ११८ [उत्त./२३/३७] [उ.नि./१४१] [उ.नि./१३८] [इ.प./२७] [आ.नि./२०७] ११८ २१३ सच्चं निवसइ सीहो सच्चप्पवायपुव्वा सत्तू इति के वुत्ते ? समणो वि संजाओ सि सयमेव य लुक्ख लोविए सल्लं कामा विसं कामा सव्वे वि एगदूसेण संखा(ई)ए उभवे साहइ संखातीते वि भवे संभरियपुव्वजम्मा सारस्सयमाइच्चा साहु गोयम पण्णा ते साहु गोयम पण्णा ते सीहगिरिसुसीणाणं सुट्ट गाइयं सुट्ट वाइयं सुट्ठ वि जियासु सुट्ठ वि सुद्धसहावम्मि जणे सुरयसुहं खलमित्ती सेयं सुजायं सुविभत्तसिंगं सेवेमि निव्विसंका [ति.गा./१०६५] [उत्त./२३/३४] [उत्त./२३/३९] [उप./९३] २३१ [आ.नि.भा./२०८] ११७ mala-p\2nd proof 318

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