Book Title: Dharm Pariksha Author(s): Yashovijay Gani Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha View full book textPage 9
________________ धर्मपरीक्षा COMCOM मूलगाथाकाराधनुः क्रमः॥ ११५ + ॥ धर्मपरीक्षामूलगाथाकाराद्यनुक्रमः गाथाङ्कपृष्ठाङ्कसमन्वितः ॥ गाथांक: पृष्ठांकः | गाथांकः पृष्ठांकः | गाांकः पृष्ठांकः | गाांकः पृष्ठांकः १६ अकरणणियमावेक्खं १७२ ५० एएणं दग्ववहे १७८ १०३ किं बहुणा इह जह जह २९१ | २ जणु जिणजोगाउ तहा २५३ | १०१ अउझप्पाबाहेणं ७. एएण मच्छियाइ २५८ | १५ खीणे मोहे णियमा १७० ९णस्थि ण णिच्चो ण कुणइ ३३ १० अणभिग्गहियाइणवि ७४ एगस्थ जळमचिर्त २५४ १४ गलियासम्गहदोसा १२ .१ ण हु सका काउं जे २५३ ३३ भणुमोयणाइ विसओ ९४ एयारिसो खलु गुरू ९५ गुरुआणाइ ठियस्स २८. ६ णिय उस्सुत्तणिमित्ता १६ ५२.अणुसंगयहिंसाए १९२ ८८ एयाहिं परिक्वाहिं २८४ २१ जइणीये किरियाए ४९ णियणियकारणपभवो १७५ २४ अण्णस्यवि जमभिणं ९ १०० एवं परमं नाणं २८९ ३९ जइ हीणं तेसि गुणं १३८ ५७ णो दब्वा णो भावा २२४ ९९ अण्णे पुग्गल भावा १८ एयमि नाणदंसण દર ५४ जलजीवाणाभोगा २९ तइये भंगे साहू १११ ५१ अववाओवगमे पुण १८० ४६ एवं सम्वजियाण ૨૫૭ ९. जलहिम्मि असंखोमे २८८ ६६ तस्थ णिमित्ते सरिसे २४० ८५ आणा पुण जगगुरुणो २८२ ९३ एवं सुवण्णसरिसो २८६ ६९ जियरक्खा सुहजोगा २४९ ८ तम्मूलं मिच्छत्तं २० ६० आपायगाऽपसिद्धी २३० १०४ एसा धम्मपरिक्खा २९१ ४३ जेणं भणंति केह- १६४ ५६ तम्हा दब्वपरिगगह २२४ ६२ भारंभाइजुयत्त • कम्मं बंधइ पार्व ८. जोगगया सा लद्धी २६१ २८ तह णिण्डबाण देसा ११० १३ इत्तो अ गुणट्ठाणं ६० ८६ कसछेयतावजोगा २८२ ६८ जो पुण इह कत्तार २४७ ७९ तं खलु उवजीवंतो २६० १२ इत्तो अणभिग्गहियं ५६ ९८ का अरती भाणंदे २८८ ८३ जोवि य जायह मोहो २६५ २० तं मिच्छा जे फलओ ८५ ९. इय मोइविसं घायइ २८५ ६. कारगसंबंघेणं ૨૪૫ .८ जंपि मयं णारंभो २६. ९६ तंमि य आयसरुवं २८७ सइय लोइय लोउत्तर १२१।१ किरियाओ अंतकिरिया २३१ । ५५ णु भाभोगाइथं २०७] ४० ता उस्सुत्तं मुर्नु १३९ २८९ MICALCURESPage Navigation
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