Book Title: Dharm Pariksha
Author(s): Yashovijay Gani
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
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धर्मपरीक्षा
शुद्धिपत्रकम
.:... मैं
अशुद्धम् शुद्धम् पृष्ठम् पंक्तिः। अशुद्धम् शुद्धम पृष्ठम् पंक्तिः | अशुद्धम् शुद्धम पृष्ठम् बत्तित वर्तित २ सुकृतं यत्सुकृतं १२.
नीयाभ्यु नीयामभ्यु वभू
सम्याफ सव्यफ
१२७
मेव मेव संपझे . सम्पदो घूकि
त्या महा स्थाहा
२०० गलपरा द्गलपरा .
१२८ हैयैव, भवा भाव पुद्ग अपापुद्ग
भतथा तथा २५४ पुनर्बन्धक संसझाय समाय
नच देवो २१२ शदेना देशना
हिट्ठी
यः पिण्डो यस्पिण्डो २८० रतिप्य तिरप्य तामिव तामेव
ननु वि ननु कुषि तदेवश्रु तदेवं शीलवानश्रु १०४ स्तुत्सूत्र
| बखेम खेम रम्यम् द्रष्टव्यम् रन्तम
किरीया किरिया २८॥ पतित प्रतित
मथ मर्थ
१५. नाश्यानुवि विनाश्यानुवि देनं देन इफुटदोषत्वं १२२ | तिखिवि तविम्बि दनेन दने न
. | वासिस्त वासितस्त वस्युनानं क्युद्भावनं १२२ | स्वस्यायि स्वस्यापि
सीसकाक्षरयोजकदोषादनुपयोगाद्वायरिकचना शुद्धं च-च, प-प, म-भ, ब-य प्रभृतिव्यस्थासादिकं जातं भवेत्तत्सर्वविशोध्य शुद्धिपत्रकावलोकनेन पाउं| शोधयित्वा च वाचनादिकं विधेयं विद्वद्भिरिति प्रार्थयामः ॥
*SHRERAISRO
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१९.

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