Book Title: Devvandanbhashyam
Author(s): Devendrasuri, Dharmkirtisuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 7
________________ Shri Ma h Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kaila r Gyanmandir भाष्य श्रीदे चैत्यश्रीधर्म संघाचारविधौ पणिहाणि दुवनसय १५२ कमेण सगति३ चउवीस२४ तित्तीसा। गुणतीस२९ अट्ठवीसा२८ चउतीसि३४ गतीस३१ बार१२ गुरुवन्ना ४० ३४४ | पण दंडा सकस्थय चेइअ नाम सुअ सिद्धत्थय इत्थ । दो इग दो दो पंच" य अहिगारा वारस कमेण ४१ ३५७ नमु' जे अइ अरिहं लोग सब्ब' पुक्ख' तम सिद्ध जो देवा । उजि चत्ता वेआवचग २ अहिगार पढमपया ४२ ३५८ पढमहिगारे वंदे भावजिणे बीयए उ दन्वजिणे। इगचेइयठवणजिणे तइय चउत्थंमि नामजिणे तिहुअणठवणजिणे पुण पंचमए विहरमाणजिण छठे । सत्तमए सुयनाणं अट्ठमए सव्वसिद्धथुई तित्थाहिवचीरथुई नवमे दसमे य उज्जयंतथुई । अट्ठावय थुइ इगदिसि सुदिद्विसुरसमरणा चरिमे नव अहिगारा इह ललिअवित्थरावित्तिमाइअणुसारा । तिन्नि सुयपरंपरया बीओ दसमो इगारसमो आवस्सयचुण्णीए जं भणियं सेसया जहिच्छाए । तेणं उजिताइवि अहिगारा सुयमया चेव वीओ सुयत्थया इइ अत्थओ वनिओ तहिं चेव । सक्कथयते पढिओ दव्वारिहवसरि पयडत्थो ३८८ असढाइन्नणवजं गीअत्थअवारिअंति मज्झत्था । आयरणाविहु आणत्तिवयणओ सुबहु मन्नति चउवंदणिज जिण मुणि सुय सिद्धा' इह सुरा हु सरणिज्जा । चउह जिणा नाम ठवण दव्य भाव जिणभेएणं ५० ३९१ नामजिणा जिणनामा ठवणजिणा पुण जिणिंदपडिमाओ | दवजिणा जिणजीवा भावजिणा समवसरणत्था ५१ ३९३ अहिगयजिण पढमथुई बीया सव्वाण तइ नाणस्स । वेयाचगराणं उबओगत्थं चउत्थथुई ५२ ३९४ filamNRITAMARIA ॥४॥ For Private And Personal

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