Book Title: Devvandanbhashyam Author(s): Devendrasuri, Dharmkirtisuri Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha View full book textPage 6
________________ Shri Ma r adhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailas Gyanmandir भाष्य श्रीदे चैत्य श्रीधर्म० संघाचारविधौ | ॥ ३॥ दोगुणतीस२२९ दुसट्ठा२६० दुसोल२१६ अडनउयसय१९८ दुवनसयं१५२ इअ नवकारखमासमणईरिअसक्कथाइदंडेसु । पणिहाणेसु अ अदुरुत्त वन सोलसय ९४७ सीयाला नव बत्तीस तितीसा तिचत्त अडवीस८ सोल' वीस२० पया। मंगलइरियासकत्थयाइसुं एगसीइसयं अट्ठट्ट (नवट्ठय ८ अट्ठवीस२८ सोलस" य वीस२० वीसामा। कमसो मंगलइरियासकत्थयाइसु सगनउई | वण्णट्ठसहि ८ नव पय नवकारे अट्ट संपया तत्थ। सग संपय पयतुल्ला सतरक्खर अट्ठमी दुपया | पणिवाय अक्खराई अट्ठावीसं२८ तहा य इरियाए। नवनउमक्खरसयं दुतीस.२ पय संपया अट्टर | दुगदुगइग'चउइग'पण'इगार"छग६इरियसंपयाइ पया । इच्छा१इरिरगम३पाणा४जे मे५एगिदि६अमितस्स८ ३२ | अब्भुवगमो निमित्तं ओहेअरहेउ संगहे पंच । जीवविराहणपडिकमणभेयओ तिनि चूलाए ३३ २४९ | दुरति३चउ४पण५पणपण५दुरचउ४तिपय३सकत्थयसंपयाइ पया। नमु आइग पुरिसो लोगुअभयधम्म-प्प-जिण-सव्वं ३४ थोअन्वसंपया ओहइयरहेऊ-वओग-तद्धेऊ । सविसेसुवओग सरूवहेउ नियसमफलय मुक्खे दो सगनउआ२८७ वना नव संपय पय तितीस सक्कथए। चेइयथय? संपय तिचत्त पय वन दुसयगुणतीसा२२६ ३६ दुछ सग नव तिय छ'चउ छप्पय चिइसंपयापया पढमा। अरिहं वंदण सद्धा अन्न सुहुम एव जा ताव अन्वगमो निमित्तं हेऊ इग-बहु-वयंत आगारा । आगंतुग आगारा उस्सग्गावहि सरूवट्ठ | नामथयाइसु संपय पयसम अडवीस२८ सोला वीस कमा। अदुरुत्त वन्न दोस:२६० दुसयसोल नउअसयं५८ ३९ ३२ ३८ " For Private And PersonalPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 560