Book Title: Devvandanbhashyam
Author(s): Devendrasuri, Dharmkirtisuri
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
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। लध्वनुक्रमः
४२३
श्रीदे० चैत्य श्रीधर्म० संघाचारविधी ॥ ८ ॥
४२४
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३६६
४३६
नारमाकथा
अधिकाराः (गाथा ४१) ३५७ अधिकारप्रामाण्यम् (गाथा ४८) ३८८ रामनागदत्तकथा
४२० अधिकाराद्यपदानि (गाथा ४२) ३५८ | उज्जयन्ताद्यधिकारप्रामाण्यम् ३९१ कायोत्सर्गप्रमाणं ब्रह्मदत्तकथा
३५८
(गाथा ४९) शशिनृपकथा |जिनादिचतुष्कस्य वन्दनीयता ३६६ शक्रस्तवान्ते द्रव्याहवंदनम् ३९१ स्तोत्रलक्षणम् (गाथा ५८) ४२८ सुमतिकन्याकथा
(गाथा ५०) विजयकुमारकथा
४२८ सुराणां स्मरणीयता ३७० आचरणायाः आज्ञात्वं (गाथा ५१) ३९३ चैत्यवंदनासप्तकम् (गाथा ५९) ४३४ सुदर्शनप्रियामनोरमाकथा स्तुतिचतुष्कम् (गाथा ५२) ३९४
गृहस्थचैत्यवंदनसंख्या(गाथा६०) जिनचातुर्विध्यं (गाथा ४३-४४) ३७५ निमित्ताष्टकद्वारम् (गाथा ५३) ४००
कान्ति श्रीकथा द्रव्यजिनाराधनायां ईश्वरराजकथा ३७६ श्रीगुप्तकथा
आशातनात्यागः (गाथा ६१) प्रभावतीकथा
४४२ अधिकारेवाधिकाराः (गाथा हेतुद्वादशकम् (गाथा ५४) ४०१
चैत्यवन्दनविधिः (गाथा ६२) ४५० ४५-४७) ३७८ सुदर्शननृपकथा
उपसंहारः (गाथा ६३) ४५३ मरुदेवातत्प्रतिमाकारकभरतः ३८० | आकारषोडशकं (गाथा ५५) ४१३ मेघरथकथा
४५४-४६२ चत्तारीति गाथाया अर्थविस्तारः ३८३ नरसुंदरकथा
४१४ ___ सम्पूर्णा लव्यनुक्रमणिका मथुराक्षपककथा
३८६ कायोत्सर्गदोषाः(गाथा ५६-५७) ४१९ |
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४३६
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४४२
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४१०
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