Book Title: Devdravyadisiddhi Aparnam Bechar Hitshiksha
Author(s): Sarupchand Dolatram Shah, Ambalal Jethalal Shah
Publisher: Sha Sarupchand Dolatram Mansa

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Page 2
________________ श्रीमद्विजयानन्दसूरीश्वरपाद पद्मभ्यो नमो नमः ।। ।। देवद्रव्यादिसिद्धि। अपरनाम बेचरहितशिक्षा ॥ नत्वा श्रीमन्महावीरं, कृत्वा सद्गुरुवन्दनम् । सिद्धयै श्रीदेवव्यादे-गुम्फयते पुस्तकं मया ॥ १ ॥ प्रारभारात् प्राच्यपापानां, वणिजा द्विचरेण हा । दारुणाऽसत्यवादेन, जैनवर्गो विमोहितः ।। २ ।। तव्यामोहविनाशार्थ, भाविनां रक्षणाय च । श्रीमद्भिः कमलाचायः, प्रेरितेन प्रयत्यते ॥ ३ ॥ मि य सज्जनो ! इस अपार संसारमागरमें अनादिकालसे परिभ्रमण करते हुए जीवोंने कितना कष्ट प्राप्त किया है उसकी गणना भी नहीं हो सकती। यदि उन दुःखोंको मालूम करने लायक कोई अतीन्द्रिय ज्ञान उत्पन्न होतो निश्चय हो १-वेचरेण. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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