Book Title: Dev Dravya Nirnay
Author(s): Manisagar
Publisher: Naya Jain Mandir Indore

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Page 53
________________ [३] देखनेसे तीन जगत के लोग पुष्पमाला की तरह इनकी आज्ञा मुस्तकपर धारण करेंगे, चंद्र देखने से पृथ्वी मंडल में सर्व भव्य जीवों के नेत्र और हृदयको आल्हाद ( हर्ष ) उत्पन्न करनेवाला होगा, सूर्य देखनेसे उनके पीछे दीप्तियुक्त भामंडलको धारण करनेवाला होगा, ध्वज देखनेसे उनके आगे धर्मध्वज चलेगा, पूर्ण कलश देखनेसे ज्ञान-धर्मादि संपूर्ण गुणयुक्त और भक्त जनोंके संपूर्ण मनोरथोंका पूर्ण करनेवाला होगा पद्म सरोवर देखनेसे देवता इन्होंके विहार में पेरों के नीचे स्वर्णके कमल रचेंगे, क्षीर समुद्र देखनेसे ज्ञान-दर्शन - चारित्रादि गुण रत्नोंका आधार भूत और धर्म मर्यादा का धारण करनेवाला होगा, देव विमान देखनेसे चारों निकाय के स्वर्गवासी देवोंको मान्य करने योग्य और आराधन करने योग्य होगा, रत्नराशी देखने से केवल ज्ञान होने पर समवसरण के तीनगढ़ के मध्य भागमें विराजमान होनेवाला होगा, निर्धूम अग्नि देखनेसे भव्य जीवों के कल्याण करनेवाला और मिथ्यात्वरूप शीतको नाश करनेवाला होगा. अब सर्व स्वमकासाररूप फल कहते हैं, हे राजन् ! इन चौदह स्वप्नों के देखने से आपका पुत्र चौदह राजलोक के मस्तक पर बैठनेवाला होगा, अर्थात् सर्व कर्म क्षय करके मोक्षमें जानेवाला होगा. इस प्रकार से कल्पसूत्र की कल्पलता सुबोधिकादि सर्व टीकाओं में ऐसे ही भावार्थवाला पाठ समझ लेना; ४ अब देखिये पर्युषणापर्व में प्रायः सर्व जगहपर कल्पसूत्र : टीकाओं सहित बांचने में आता है, उसमें ऊपरका विषय संबंधी पाठ भगवान् महावीर प्रभुके जन्म अधिकार बांचने के दिन सुनने में आता है. उस दिन बोर प्रभुके ऊपर मुजब गुणोंकी स्मरणरूप भक्ति के लिये और देवद्रव्यकी वृद्धि के लिये स्वप्न उतारे जाते हैं, इसलिये उनका द्रव्य बीतराग प्रभुकी भक्ति के सिवाय अन्य खाने में खर्च करना सर्वथा अनुचित है,

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