Book Title: Dev Dravya Nirnay
Author(s): Manisagar
Publisher: Naya Jain Mandir Indore

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Page 52
________________ [२] भगवान् की सेवा भक्ति अपने आत्म कल्याण के लिये करते हैं, देखिये त्रिशलामाता के चौदह स्वप्नोंके अधिकार संबंधी कल्पसूत्र की ' कल्पद्रुम कलिका' नामा टीका का पाठ :--- २ "हे राजन् ! चतुर्दत गजावलोकनात् चतुर्धा धर्मोपदेष्टा भविष्यति, वृषभदर्शनाद् भरतक्षेत्र सम्यक्त्वबीजस्यवप्ता भविष्यति, सिंह दर्शनाद् अष्टकर्मगजान् विद्रावयिष्यति, लक्ष्मीदर्शनाद् संवत्सरदानं दत्त्वा पृथ्वी प्रमुदितां करिष्यति, तीर्थंकर लक्ष्मीभोक्ता च भविष्यति. पुष्पमाला दर्शनात् त्रिभुवन जना अस्य आज्ञा शिरसि धारयिष्यंति, चंद्र दर्शनात् पृथ्वीमंडले सकल भव्य लोकानां नेत्र हृदयाऽऽल्हादकारी च भविष्यति, सूर्यदर्शनात् पृष्ठे भामंडल दीप्तियुक्तो भविष्यति, ध्वज दर्शनाद् अग्रे धर्मध्वजः चलिष्यति, कलश दर्शनाद् ज्ञान-धर्मादि संपूर्णो भविष्यति, भक्तानां मनोरथ पूरकश्च. पद्मसरो दर्शनाद् देवा अस्य विहार काले चरण योरधः स्वर्णानां पद्मानि रचयिष्यंति, क्षीरसमुद्र दर्शनाद् ज्ञान-दर्शनचारित्रादि गुण रत्नानामाधारः धर्म मर्यादा धर्ता च भविष्यति, देवविमान दर्शनात् स्वर्गवासिनां देवानां मान्य आराध्यश्च भविष्यति, रत्नराशि दर्शनात् समवसरणस्य वप्रत्रये स्थास्यति, निधूमाऽग्नि दर्शनाद् भव्य जीवनां कल्याण कारी, मिथ्यात्वशीत हारी च भविष्यति. अथ सर्वेषां स्वप्नानां फलं वदति. हे राजन् ! एतेषां चतुर्दश स्वप्नानां अवलोकनात् चतुर्दश रज्ज्वात्मक लोकस्य मस्तके स्थास्यति" . ३ भावार्थ-हे राजन् ! चारदांतवाला हाथी देखनेसे चार प्रकार के धर्मका उपदेश करनेवाला होगा, वृषभ देखनेसे भरतक्षेत्रमें सम्यक्त्व. रूप बीजके बोने वाला होगा, सिंह देखनेसे आठ कर्मरूप हाथियों का विदारन करनेवाला होगा, लक्ष्मी देखने से संवत्सरी दान देकर पृथ्वीको हर्षित करनेवाला और तीर्थकररूप लक्ष्मीको भोगनेवाला होगा. पुष्पमाला

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