Book Title: Dev Dravya Nirnay
Author(s): Manisagar
Publisher: Naya Jain Mandir Indore

View full book text
Previous | Next

Page 96
________________ जाहिर खबर इन्दौर शहर में मुंहपत्ति की चर्चा, इंढियों की हार और आगमानुसार मुहपत्तिका निर्णय. इस ग्रंथमेंभी जैनशासन में साधुको बोलनेका काम पडे तब मुंह आगे मुहपत्ति रखकर यत्नपूर्वक उपयोगसे बोलनेका कहा। है. इस अनादि जिनाज्ञा को उलंघन करके ढूंढियें साधुओंने बिना बोले भी हमेशा मुंहपत्ति मुंहपर बांधनेका नवीनमत निकाला है, तो भी अपने झूठे पक्षको स्थापन करने के लिये शास्त्रपाठोंके खोटे खोटे अर्थ करके कुयुक्तियें लगाकर किताबें छपवाते हैं, उन्मार्ग को पुष्ट करते हैं, उन सब ढूंढियोंकी सब शंकाओंका सब कुयुक्तियोंका समाधान सहित " आगमानुसार मुहपत्तिका निर्णय लिखा . है. और दंढिये लोग चर्चा करनेके लिये विवाद खडा करते हैं परंतु उनका पक्ष झूठा होनेसे न्यायानुसार सत्य शास्त्रार्थ कर सकते नहीं, अपना झूठा पक्ष छोडकर सत्यवात अंगीकार भी करते नहीं और / अपनी हारकी झूठी इज्जत रखने के लिये चर्चा का विषय छोडकर - विषयांतरसे आडी टेढी दूसरी दूसरी बातें बीच में लाते हैं, तीव्र / कषायमें आकर रागद्वेष को बढानेके लिये अंगत निंदा ईर्षा से झगडा मचाते हैं, फिर भगजाते हैं. उसका ताजा बनाव इन्दौर शहर में | मुंहपत्तिकी चर्चाका हाल इस ग्रंथकी आदि में छपवाया है, उसके / देखनेसे ढूंढियों को अपने झूठे पक्षका कितना आग्रह है इस बातका ॐ अच्छी तरहसे अनुभव होता है, यह ग्रंथ भी भेटमें ही मिलता है. इन के सिवाय अन्य ग्रंथ भी प्रश्नोत्तर मंजरी 1-2-3 भाग / प्रश्नोत्तर, विचार, लघुपर्युषणा निर्णय प्रथमअंक, गौतम पृच्छाका सार, और पर्युषणा बाबत मुंबईकी चर्चा वगैरह देवद्रव्य निर्णय के प्रकाशकों के ठिकानसे भेट मिलते हैं.

Loading...

Page Navigation
1 ... 94 95 96