Book Title: Dashvaikalikam
Author(s): Kanchanvijay, Kshemankarsagar
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 10
________________ सुमति साधु० श्री. दशवै० || 6 || Jain Education Intera ' सुमतिसूरि 'ए रची छे, जे आ प्रकाशित करी रह्या छीए. वली एक लघुवृत्ति अंचलगच्छीय विनयहंसगणीए संवत् १५७२ मां २१०६ लोकप्रमाण रची छे. ते अप्रसिद्ध छे अने ते खंभातमां ताडपत्रीय उपर श्रीशांतिनाथजी ज्ञानभंडारमां छे. श्रीदशवेकालिकसूत्र उपर त्रण अवचूरिओ छे तेमां पहेली शांतिदेवकृत छे ते पाटणना ज्ञानभंडारमां छे, वली बीजी १८०० लोकप्रमाणनी छे ते पाटण, खंभात अने पूनाना ज्ञानभंडारोमां छे. त्रीजी १५०० लोकप्रमाणनी छे ते लींबडीना ज्ञानभंडारमां छे. कर्तानी माहिती मळी नथी. त्रणे अप्रसिद्ध छे. श्रीदशवैकालिक दीपिका श्रीमाणिक्यशेखरसूरिकृत मोटी छे, जे अमदावादना ज्ञानभंडारमां छे ने अप्रसिद्ध छे. श्रीशकालिक सूत्र नो टब्बो (बालावबोध ) गु. अनुवाद, हिन्दी अनुवाद तथा जर्मन इंग्लीश अनुवाद पण छे. आ सूत्रनुं मूल तथा नियुक्ति श्रीवर्धमान जैनागममंदिरमां पालिताणामां शिलारूढ थयेल के अने सुरतमां श्रीवर्धमान जैनताम्रपत्रागम मंदिर मां एकलं मूल ताम्रपत्रारूढ करवामां आव्युं छे. विनंती - संशोधक मुनिवर्योने आगम पंचांगीना अप्रगट प्रथोनुं संशोधन करवा फंड तरफथी विनंती करींए छीए अने जेओश्री पासे अप्रगट आगम पंचांगीना ग्रंथोनी प्रेसकॉपीओ अथवा प्रतो होय तो तेना नामो जणाववा विनवीए छीए. जेथी फंड तरफथी प्रकाशित करवा योग्य प्रबंध करीए. आ मन्थना प्रकाशनमां जेवा जेवा रूपे जेओ जेओश्रीए अमने सहाय करी छे ते बदल अमो ट्रस्टीओ आ फंड तरफथी For Private & Personal Use Only ॥ ८ ॥ www.jainelibrary.org

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