Book Title: Dash Lakshan Dharm athwa Dash Dharm Dipak
Author(s): Deepchand Varni
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 7
________________ उत्तम क्षमा ! - [३ གཡའ ད་ ཨ་ ་ པད་ ་པ ་་་་་་་་་་༥་་་་དང་་་ག་ཨ "उत्तमक्षमामार्दवार्जवसत्यशौचसंयम.. तपस्त्यागाकिञ्चन्यब्रह्मचर्याणि धर्मः ॥" ___भावार्थ-उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम शौच, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिञ्चन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य, ये दश प्रकार धर्म अर्थात् आत्माके स्वभाव हैं। सो ही कार्तिकेयस्वामीने कहा है यथा:सो चिय दहप्पयारो खमादि भावेहिं सुक्ससारेहि । ते पुण भणिजमाणा मुणियब्वा परमभत्तीए ॥ सो धर्म क्षमादि भावरूप दश प्रकार है और सच्चे सुखका देनेवाला है अथवा यही सुखस्वरूप अर्थात् सुखका सार है, और वह आगे कहा जानेवाला दश प्रकार क्षमादि भावरूप धर्म परम भक्ति अर्थात् धर्मानुरागपूर्वक जानने व मनन करने योग्य है। (स्वा० का० अ०) उत्तम क्षमा। कोहेण जो ण तप्पदि सुरणर तिरिएहिं कीरमाणेवि । उवसग्गे वि रउद्दे तस्स खिमा णिम्मला होदि । अर्थात्-जो देव, मनुष्य तथा तिर्यचों द्वारा घोरान्धोर उपसर्ग होनेपर भी क्रोधसे संतप्त नहीं होते हैं उनके निर्मल अर्थात् उत्तम क्षमा होती है। (स्वा० का० अ०) - भावार्थ किसी भी प्रकारके देव, मनुष्य तथा तिर्यचोंकृत उपसोद्वारा, होनेवाले दुःखको; विना संक्लेश. भावोंके सह लेनेकी

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