Book Title: Chitrakavyani
Author(s): Dharmkirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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________________ चित्रकाव्यानि सं. मुनि धर्मकीर्तिविजय or in आ एक संग्रहग्रन्थ छे जेमा ७१ सुभाषित-श्लोकोनो संग्रह करवामां आव्यो छे, तेमां पण मुख्यत्वे समस्याओ, प्रहेलिकाओ, श्लेषकाव्यो व. नो समावेश थाय छे. अने आ रीते तेनुं 'चित्रकाव्यो' एवं नाम पण सार्थक थाय छे. ग्रन्थनी शरुआत विविध खाद्यपदार्थो तथा पक्षिओनां नामोथी गर्भित, श्रीकृष्णनी स्तुतिथी थाय छे. बन्ने श्लोकोनी सरळ व्याख्या पण साथे आपेल छे. त्यार बाद एक संस्कृत समस्या तथा एक प्राकृत सुभाषित मूक्यां छे, अने ते पछी विषयवार, विविध समस्या व. थी गर्भित श्लोको मूकवामां आव्या छे. विषयोनो क्रम तथा श्लोकोनी संख्या आ प्रमाणे छ : विषय श्लोक संख्या अन्तर्लापिका बहिर्लापिका कर्तृगुप्त कर्मगुप्त करणगुप्त सम्प्रदानगुप्त अपादानगुप्त सम्बन्धगुप्त ९. अधिकरणगुप्त १०. सम्बोधनगुप्त ११. क्रियागुप्त १२. कर्तृसम्बन्धाधिकरणगुप्त १३. मात्राच्युतक १४. बिन्दुगुप्त १५. बिन्दुमजाली (बिन्दु मयाली?) or ॐ on 3 or on , or on or or m or or on a Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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