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रूप हिंसा टलती है इसलिए अहिंसा व्रत के १२६ भेद होते है ब्रतों के ५२६ उपवास और इतने हीपारणा होते है।
सत्यव्रत के उपवास भीा-स्वपक्ष-पैशुन्य-क्रोध-लाभात्माशंसनैः ।
द्वासप्तत्तिर्न वध्नै स्ते पदनिंदानिवतैरिति । ।१०५।! असत्य भाषण - प्रकार से होता है जैसे- भय, ईर्ष्या, स्वपक्ष समर्थन चुगलखोरी, क्रोध, लोभ, आत्मप्रशंसा और पर की निंदा । इन आठ प्रकार से होने वाली असत्य का नव कोटी त्याग अर्थात मन, वचन. काय कृतकारित और अनुमोदना से त्याग करना चाहिए इस कारण इसके ८ x ६= ७२ उपकास होते हैं और एक एक उपवास के बाद एक एक पारण! इस प्रकार ७२ उपवास और इतने ही पारण होते हैं।
अचौर्यव्रत पालन के उपवास ग्रामरण्यखलैकान्तरन्यत्रोन्योपध्यभुक्तकैः ।
सपृष्ट ग्रहणैः प्राग्वद् द्वासप्ततिरमी स्मृतः ।। १०२ ।। चोरी आट स्थानों से हो सकती है जैसे १ ग्राम, २ जंगल ३ लिहान. ४. एकान्त. ५ अयन्त्र, ३ उपधि ७. अभुक्तक ८ और पृष्ट ग्रहण (पीछा करना) इन आठो को उक्त मन वचन काय, कृत कारित अनुमोदन इस प्रकार नव कोटि से त्याग करना चाहिए। इस प्रकार इस अभिप्राय को लेकर अचौर्य महाव्रत के (8X9% 72) ७२ उपवास होते हैं तथा पूर्वोक्त उपवास की एक-एक पारणा होने से ७२ ही पारणा होते हैं।