Book Title: Charitra Shuddhi Vrat
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Jain Mahila Samaj Delhi

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Page 150
________________ ॐ हीं मनसा कृतपरिवर्तितदोषरहितैषणासमिति महाव्रतप्रोषधोधोननाय नमः ।। १!! ॐ ह्रीं मनसा कारितपरिवर्तितदोषरहितैषणासमिति महाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।। २।। ॐ हीं मनसानुमोदितपरिवर्तितदोषरहितैषणासमिति महाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।। ३।। ॐ हीं वचसा कृतपरिवर्तितदोषरहितैषणासमिति महाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः ।। ४।। ॐ हीं वचसा कारितपरिवर्तितदोषरहितैषणासमिति महाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः ।। ५।। ॐ हीं वचसानुमोदितपरिवर्तितदोषरहितैषणासमिति महाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।। ६।। ॐ हीं वपुषा कृतपरिवर्तितदोषरहितैषणासमिति महाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः ।। ७।। ॐ हीं वपुषा कारितपरिवर्तितदोषरहितैषणसमिति महाव्रतप्रोषधोद्योतनाय नमः।। ८॥ ॐ हीं वपुषानुमोदितपरिवर्त्तितदोषरहितैषणासमिति महाबलप्रोषधोद्योतनाय नमः।। ६।। इति परिवर्त्तितदोषरहितेषणासमितिव्रता १२६, 149

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