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उपसहार त्रयोदशविधस्यैव चारित्रस्य विशुद्धये!
विधौ चारित्रशुद्धोस्युरुपवासाः प्रकीर्तिताः ।। १०६ ।। इस प्रकार तेरह चारित्र की शद्धि करने के लिए उक्त प्रकार १२३४ उपवास व १२३४ पारणे करने चाहिए।
उपवांसों की संख्या इस यंत्र से स्पष्ट जानना चाहिए:अहिंसा महाव्रत
१२६ सत्य महाव्रत अचौर्य महाव्रत ब्रह्मचर्य महाव्रत अपरिग्रह महाव्रत रात्रिभोजन त्याग अणुव्रत ईर्यासमिति भाषा समिति एषणा समिति आदान निक्षेपण समिति प्रतिष्ठापना समिति कायगुप्ति बचन गुप्ति मनो गुप्ति
१२३४ इस प्रकार १२३४ उपवास व इतने ही पारणे होते हैं।
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