Book Title: Charitra Shuddhi Vrat
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Jain Mahila Samaj Delhi

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Page 21
________________ २४ ४ ६- २१६ उपवास व इतने ही पारणा होते हैं। इस प्रकार पाच महाव्रत के १२६ + ७२+७२+१८०+२१६-६६६ उपवास तथा ६६६ पारण होते हैं । षष्ठम रात्रिभोजनत्याग व पंच समिति व तीन गुप्ति के उपवास षष्ठे दशोपवासाः स्युरनिच्छा नव कोटिभिः । प्रत्येकं नव विज्ञेया त्रिगुप्तिसमितित्रिके । ११०६ ।। पांच समिति के उपवास समितियां पांच होती हैं-ईया भाषा, एषणा आदान निक्षेपण और प्रतिष्ठापन व्युत्सर्ग इनमें ईर्ष्या समिति, आदान निक्षेपण और व्युत्सर्ग समिति इन तीनों के एक-एक भेद हैं अतः इनको नव कोटि पालन करने से 3X9= 27 भेद हैं होते अतः इनके पालनार्थ २७ उपवास व २७ पारणे होते हैं । भाषा समिति के उपवास भावोपमा-व्यवहार- प्रतीत्य- संभावना - सुभाषायाम् । जनपद संवृद्धि नाम स्थापना रूप दश नवधना ||१०७ || भाषा समिति में भाव सत्य, उपमा सत्य, व्यवहार सत्य प्रतीत्यसत्य, संभावना सत्य और रूप सत्य इस प्रकार दश भेद रूप असत्य को नव कोटि से त्यागना १०x६- ६० नव्वे भेद रूप । इनके ६० ही उपवास और इतने ही पारणे होते हैं । एषणा समिति के उपवास षट् चत्वारिंशतों दोष नेषणासमितौ मतान् । नवध्नान् विधिद्यं कार्यास्तावन्त उपवासका ||१०८ || 20 .

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