Book Title: Charcha Shatak
Author(s): Dyanatray, Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 7
________________ पृष्ठ संख्या पृष्ठ संख्या ८५ चारों गतियोंमें ओपन भाव १३७ / ८९ चारों गतियोंमें कौन कौन ८६ छहों लेश्यावालोंके मिथ्यात्व- और कितनी कितनी प्रकृतिगुणस्थानमें कौन कौन कौं- | योंका बंध होता है ! १४२ का बन्ध होता है ! १३९ ९० समस्त जीवोंकी उत्कृष्ट आयु १४३ ९१ नक्षत्रोंके तारे और अरुत्रिम ८७ चौरासी लाख योनियां १४०. चैत्यालय १४४ ८८ वे प्रेसठ कर्मप्ररुतियां कि ९२ जिनवाणीके सात भंग १४६ जिनका नाश होनेपर केवल- ९३ सर्वज्ञके ज्ञानकी महिमा १४७ ज्ञान होता है ११ / ९४ कविका अन्तिम कथन १४९ २ १४९ १३५ 33. पद्योंकी अकारादि क्रमसे सूची। अचल अनादि अनंत० ८ औदारिक दोय आहारक० अनंतानुबंधी औ अप्रत्याख्यानी० ९२ | केवल दरस ग्यान० आचारज उबझाय० | ग्यानावरनी पांच० आउ अंस पैंसठ सौ इकसठ ० ५२ | ग्यार अंक पद एक० इक्यावन थान जान ५४ | घाति सैंतालीस दुक्स. इकसौ सतरै एक एकसौ. |चरचा मुखौं भनें इकसौ सतरै इकसौ ग्यारे० | चौतिस बत्तिस तेतिस० इकसौ सतरै इकसौ ग्यारे० चौवीसौं जिनरायपाय इन्द्रसेन सात हाथी चौसठि लाख असुर० इन्द्र फनिंद नरिंद छहौं तीसरे जाहि. उपसम चौथै ग्यारे १३३ छियालीस चालीस० ऊखलमें छेक वंसनाल. १५ | जय सरवग्य अलोक० ऊरध तिरेसठ पटल कहे० १०२ | जीव करम मिलि बंध० एक तीन पन सात० जीव समास परजापत० एक चन्द इक सूर्य अठासी० | जीव हैं अनंत एक० एक समैमाहि. ७५ | जंबूदीप दोय लवनांबुधिमैं ० एकसौ तिरेसठ किरोर ११६ | जंबूद्वीप एक लाख० E५

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