Book Title: Charcha Shatak
Author(s): Dyanatray, Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 5
________________ विषय-सूची पृष्ठ संख्या पृष्ठ संख्या १ मंगलाचरण | २२ पाप प्ररुतियों के नाम " २ अलोक और लोकका स्वरूप ८२३ पुण्य प्ररुतियोंके नाम 3 तीन लोकका स्वरूप १०।२४ जिनमतकी श्रद्धा 7 तीनों लोकोंका घनफल २५ कुलकोड़ ५ अधोलोकका घनफल १८ | २६ अंकगणनाके ग्यारह भेद ५ ६ उद्धृलोकका घनफल |२७ तेरहवें गुणस्थानमें सात त्रिभंगी ४७ ७ तीन सौ तेतालीसराजूकाब्योरा २०२८ वन्ध दशक ८ वातवलयोंका परिमाण २१ | २९ तीनलोकके अरुत्रिम चैत्यालय ४९ ९ तीन लोकके पटलोंका वर्णन २३ |३० तीन कम नौ कोटि मुनि ५० १० छहों संहननवाले जीव मरकर ३१ अढाई द्वीपका ज्योतिषमंडल ५१ कहाँ कहाँ उत्पन्न होते हैं ! २४ २ आयुकर्मबन्धके नौ भेद ११ छह कालों और चौदह गुण- |३३ सत्तावन जीवसमास स्थानोंमें कौन कौन संहनन | अट्ठानवै जीवसमास २६ | ३५ प्रमादोंके भेद १२ तीर्थंकरोंका अन्तराल समय २७ | ३६ ज्योतिष मंडलकी चौड़ाई १३ कर्मोंकी १४८ प्ररुतियां कौन ! ३७ गुणस्थानोंका गमनागमन कौन गुणस्थानों में क्षय होती हैं। २९/३८ तीर्थकरोंके शरीरका वर्ण । १४ मानुषोत्तर पर्वतका परिमाण ३.३९ मंगलाचरण १५ देवदेवी संभोग २/४० चौदहमार्गणा प्ररूपणा १६ एक सौ उनहत्तर प्रधान पुरुष ३३ ४१ मारह प्रसिद्ध पुरुष १७ एकसौ अड़तालीस कर्मप्ररुतिया 37 |N२ द्वीपसमुद्रोंके चन्द्रमा १८ भव-क्षेत्र-पुद्गल-जीवविपाकी | ४३ अधोलोकके चैत्यालय प्रतियां | r४ मध्यलोकके चैत्यालय १९ सर्वघाती और देशघाती प्र० ३७ |४५ ऊर्द्धलोकके चैत्यालय २. पांच त्रिभंगी ३८ | ४६ सौधर्म इन्द्रकी सेना २१ बन्ध, उदय और सत्ता १०J४७ इन्द्रियोंके विषयकी सीमा ७१

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