Book Title: Charcha Shatak
Author(s): Dyanatray, Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ (२) ८७ । पृष्ठ संख्या पृष्ठ संख्या ४८ समुद्घातके समय योग 3 | ६८ पंचपरावर्तनका स्वरूप ११० ४९ मिथ्यातीकी मुक्ति न हो ७५ | ६९ पांच लब्धियां ११४ ५० आठ कर्मोंके आठ दृष्टान्त ७६७० नन्दीश्वर द्वीप ११६ ५१ गुणस्थानोंमें सत्तावन आस्रव ७८ | १ मेरुका वर्णन ११७ ५२ गुणस्थानोंमें १२० प्रहतियोंका |७२ मेरुपर्वतका पूर्व पश्चिमविस्तार ११८ बन्ध ___ ८० |७३ चौदह गुणस्थानोंमें मरकर ५३ गुणस्थानोंमें १२२ प्ररुतियोंका | जीव कहां कां जाता है १२० उदय ८४ | ७४ नववें गुणस्थानमें ३६ परु५४ गुणस्थानों में १२२ प्रहतियोंकी तियोंका क्षय १२२ उदीरणा ८७ ७५ जिनवाणीकी संख्या १२३ ५५ गुणस्थानों में प्ररुतियोंकी सत्ता ८८ / ०६ चौदह गुणस्थानों में कर्मोंका५६ अन्तर्मुहूर्तके जन्ममरणोंकी | आस्रव १२४ गिनती ७७ चौदह गुणस्थानोंमें चारों ५७ घाति कर्मोंकी प्ररुतियां | आयुओंका बंध और उदय १२५ ५८ मोहनीय कर्मकी प्रकृतियां :२ |७८ आठ स्थानोंमें निगोद नहीं, ५९ अघाति कर्मोकी प्रतिया ९३ चार स्थानोंमें सासादन जीव ६० नामकमकी प्ररुतियां ९५ | नहीं जाते, आदि कथन १२६ ६) जम्बूद्वीपके पूर्वपश्चिमका वर्णन ९७ | ०९ सात नरकों और सोलह ६२ जम्बद्वीपके दक्षिण उत्तरका | स्वर्गौसे आवागमन १२८ वर्णन १९८० कषायोंके दृष्टान्त और उनके ६३ अधोलोकके श्रेणीयद बिलोकी । फल १२९ संख्या | ८१ चौदह गुणस्थानों में चौतीस ६४ ऊर्द्धलोकके श्रेणीबद्ध विमान १०२ | भावोंकी व्युच्छित्ति ७२ ६५ लवणोदधिके १००८ कल- | ८३ वारह गुणस्थानों में उन्नीस शोका वर्णन 1.3 . भाव १३३ ६६ त्रेसठ इंद्रकविमान . १०४ | ८३ चौदह गुणस्थानोंमे त्रेपन ६७ १२० प्ररुतियोंका बंध और | भाव . उदय - १०५ | ८४ चारों गतियोंमें आसक्द्वार १६

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 166