Book Title: Charcha Shatak
Author(s): Dyanatray, Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 8
________________ जंबूद्वीप दच्छिन उत्तर • तन बंधन संघात वर्ण ० 'तलै बातबलै मौटे O तिहूं काल पट दरब 'तीन सौ तेताल राजू० तीनों लोक तीनों • ० थावर सैनी होय O दर्द खेत काल भाव ० देव गति आव आनुपूरवी • देव पर है ० . दोय सुरगमैं कायभोग है. महुं नाम अरहंत • सुगति आनुपूरची नरक आव पहले बँधै . पचपन अरु पचास० पचास तीस दस नौ किरोर० पहले पांचों मिथ्यात ० पहले मिथ्या अभव्य • पहलै समैमैं करे दंड पहले सौ अड़ताल० पहुपदंत प्रभु चंद० पांच किरोरतिरावने लाख पाहनकी रेख थंभ पाथरकौ० पूर्व पच्छिम सात ० पूर्व पच्छमतले सात • पूर्व पच्छिम त सात • पृथ्वीकाय बीस दोय ० पैतालीस लाखको है ० ( ४ ) पृष्ठ संख्या ९९ ९५ २१ ४३ १३ ११ ११४ - १४६ १०५ ७६ ३२ ६२ भूजल पावक वायु ० भूजल पावक पौन ० पंचमेरुके असी ० : प्रत्याखानी चारि औ० प्रथम दुतिय अरु तृतिय ० प्रथम बत्तीस दूर्जे • ० फरस चारिसे धनुष ० बन्दों नेमि जिनंद ० बन्दौ आठ किशेर ० बन्दों पारसनाथ ० बंध एकसौ बीस ० भाव परावर्तन अनंत ० भाव परावर्तन अनंत • १४१ ७८ १२५ | भूमि नीर आग पौन केवली ० मति स्रुत औधि मनपरजै ० २७ | मध्यलोक इक ब्रह्म ० १२४ | मनुषोत्तर पर्वत चौराई • १३२ मिथ्या मारग च्यारि ० ७३ मिस्र खीन संजोग ० ૮૮ मेरु एक लाख जड़ ० ६० मेरु गोल जड़तलै • मृदु भूमि बारे खर भू० लोकईस तनुवात सीस ० लौनोदधि बीच चारि ० पृष्ठ संख्या ६८ १२२ ५० १२९ १० १७ | वर्णादिक च्यार सोले नाहिं० १८ वरनादिक बीस संस्थान ० ૪૪ विकथारूप पचीस और० १० ४ विकलत्रै सूच्छम साधारन ० २६ ६९ ७१ ४० ११० ११३ ५३ ९० १२६ ९ १ १९ ३१ ५८ १२० ११७ ११८ १४३ ५ १०३ ३८ ३५ ५६ १३९

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