Book Title: Chandanbala
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ चन्दनबाला सोचती है... इस भद्र पुरुष ने इतनी स्वर्ण मुद्रा देकर क्यों खरीदा है ? सच पिता जी? बेटी क्या सोच रही है? तेरे कष्ट समाप्त होगये हैं। TOSH बेटी। मैं महात्मा महावीर का परम भक्त इंवर्द्धमान महावीर आजकल संसार को सत्य | अहिंसा का उपदेश दे रहे हैं। भारतवर्ष उनकेचरणों में नत है। चन्दनबाला केनयनो में श्रमण महावीर का चित्र साकार हो उठा। रथमहल के समान विशाल भवनकेागे रूका . MOTIVATA

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28