Page #1
--------------------------------------------------------------------------
________________
जैन चित्र कथा
चन्दनबाला
எள்
Page #2
--------------------------------------------------------------------------
________________
चन्दन बाला
सम्पादकीय
यों तो सुन्दरता के सभी प्रेमी हैं वह चाहे जड़-चेतन, नर-नारी में पर इतिहास साक्षी है नारी की सुन्दरता, आदमी को आदमी नहीं रहने देती इसमें दोष सुन्दरता का नहीं, दोष आदमी की उस कमजोरी का है जो नारी की सुन्दरता को वासना के रूप में उभारती है। प्रस्तुत कृति का कथानक सुन्दरता की संज्ञा का एक नमूना है जिसे चन्दन बाला की सम्यक दृढ़ता में सुन्दरता की इस सजा को स्व स्वरूप में बदल दिया था। चम्पापुरी नगरी के राजा दधिवाहन जिनकी रानी धर्मधरणी जिसे अति सुन्दर होने के कारण कोशाम्बी नगर के राजा शतानीक का सेनापति कोफ -मुख स्वयंबर में न ले जाने के कारण दधि वाहन पर चढ़ाई कर रानी धर्मघरणी को छल-बल से वन में ले जाता है। पर वहां रानी मृत्यु को गले लगाकर इस धूर्त की कामना पूरी नहीं होने देती है। तब साथ में गई पुत्री चन्दन बाला को वह कोशाम्बी के बाजार में गणिका के हाथ बेचता है, फिर चन्दनबाला किसी तरह अपने सतीत्व की सुरक्षा करती है। पढ़िये इस परम पावन कृति में ।
आचार्य धर्मश्रु ग्रन्थमाला ऐसी ही जैन चित्र कथा का प्रकाशन करती है तथा आगे भी करती रहेगी।
धर्मचंद शास्त्री
प्रकाशक :- आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थमाला गोधा सदन अलसीसर हाऊस संसार चंद रोड जयपुर सम्पादक :- धर्मचंद शास्त्री
लेखक :- श्री मिश्रीलाल जी जैन एडवोकेट गुना चित्रकार:- बनेसिंह
मुद्रक :
सैनानी ऑफसेट
फोन : 2282885, निवास 2272796
मूल्य 12/
Page #3
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजकुमारी चन्दनबाला महाराज चेटक की पुत्री थी। उसकीसुन्दरता की प्रसिद्धि दूर दूर तक फैली हुई थी।
चन्दनबाला
रेखांकन : बनेसिंह।
18666660808088
Food
HOSEL
AKATALADIOLI
Guru
PuTor
Page #4
--------------------------------------------------------------------------
________________
उसे धर्मशास्त्र पढ़ते देख कर एक सहेली ने पूका ........
क्या पढ़ रही हो राजकुमारी
जी?
पिता श्री ने श्रमण वर्द्धमान महावीर के जीवन की घटनाएं लिखवाई है उन्हें ही पंढ रही हूं।
0
400000
000000
200000
एक सखीने हंसते हुए कहा...
लगता है तूभी सन्यासनी बनेगी।
चलबाग में घूमेंगे, झूलेंगे, गील. गायेंगे।
Page #5
--------------------------------------------------------------------------
________________
सखियों के साथ राजोद्यान में देखो कैसे काले बादलों को देख कर....
QUADRE
गजल La 900!
बादल छा गये ? लगता है पानी बहुत तेजी से बरसेगा । चलो लौट चलें ।
अरे! कितनी सुन्दर युवती (है ? ऐसी सुन्दरता तो मैंने जीवन में कभी नहीं 'देखी। इसका हरण करना चाहिए।
POR
exce
Page #6
--------------------------------------------------------------------------
________________
विद्याधर का विमान आकाश से धरती पर उतरा, चन्दनबाला और उसकी सहेलियां भयभीत हो गयी वह विमान से उतर कर चन्दनबाला को एकटक देखने लगा और...
जल्दी भागो, कोई पापी मनुष्य प्रतीत होता है।
A
"넌누구
Rest
Page #7
--------------------------------------------------------------------------
________________
मैं विद्याधरों का राजा हूं। जब तक सैनिक आयेंगे मैं तुमको लेकर मीलों दूर चला जाऊंगा
दुष्ट ! छोड़ दे । तुझे मालूम नहीं मैं राजा चेटक की पुत्री हूं । प्राण दण्ड मिलेगा
How
रूप की रानी तुम यहीं रुकना। भयानक जंगल है। मैं राजधानी में तुम्हारे लिए महल की व्यवस्था करके अभी लौटता हूं
विद्याधर सोचता है
भयानक जंगल है। दूर तक कहीं 'गांव नहीं है। कहां भागेगी? अभी लौटता हूँ ।
अच्छा हुआ, पापी चला गया। हे भगवान ये कभी लौटे। वह दुष्ट आये इसके पहिले मैं बहुत दूर चली जाना चाहती हूँ ।
Page #8
--------------------------------------------------------------------------
________________
FASTEST
भूख,प्यास से बुरा
हाल है, कोईनगर, ग्राम भी नहीं दिखता।)
metime
IRUIIIT
कुछ दूर चलने पर....कोई शहर ... शायद कोई सहारा मिल जाये. एकप्रद
माँ यह कौन सा स्त्री को
नगर है ? देख कर...
anAme
बेटी! तुझे नहीं मालूम यहै कौशाम्बीहै। बहुत सुन्दर नगर है।
Page #9
--------------------------------------------------------------------------
________________
माँ ! मैं बहुत दुखी हूं। यहां धर्म शाला कहां है ?
1
प्रौढ़ महिला उसे लेकर घर आई। प्यार स्नेह पूर्वक भोजन कराया और...
ROUD
(0)
अरे! मेरे रहते मेरी बेटी धर्मशाला में रहेगी? चल बेटी ! क्या सोच रही है? मैं तुझे बेटी की तरह रखूंगी।
"माता के समान व्यवहार । की आशा से वह उस महिला के साथ
चल दी।
Dire
चन्दनबाला ! मैं तुझ से अब कुछ छिपाना नहीं चाहती। मैं गणिका हूं। तुझे नाचना, गाना पड़ेगा। यदि मेरा कहना नहीं मानेगी तो रूप की हाट में बेच दूंगी।
मेरी बात मान ले । धर्म और आदर्श की बातें रहने दे| अब तुझे कोई नहीं बचा सकता ।
30050
'बेटी | यह तेरे रहने का कमरा है। यहां सब सुविधाएं तुझे प्राप्त होंगी आराम से रह ।
COOOOOO
0000000
माँ | मैं नीच काम नहीं करूंगी। चाहे मुझे प्राण भी गंवाने पड़े। नारी का
चरित्र ही
उसकी
सुन्दरता है |
यह असम्भव है
Page #10
--------------------------------------------------------------------------
________________
दूसरे दिन चन्दनबाला बिकनेहेतु रूपकीहाट में खड़ी थी...... इस सुन्दरी की कीमत
बोल ५०० स्वर्ण २०० स्वर्ण मुद्राएं।
मुद्राष्ट ।
DO COCOOTER
गणिका चन्दनबाला को एक कोठरी में बंद कर दिया...भाग नसके.
इसी समय विक्रय स्थल के निकट सडकपर एक रंथ जा रहा था। उसमें थे नगरसेठ, उन्होंने सुन्दरी युवली चन्दन बाला को देखा और सोचने लगे......
ऐसी सुन्दर और पवित्र सुन्दरी मैने जीवन में नहीं देवी । कोई भलेघरकी लड़की संकट में फंस गई है। इसका उदार करना
चाहिये।
0
Page #11
--------------------------------------------------------------------------
________________
नगरसेठ रथ से उतर कर भीड़ मे जाकर सुन, इस सुन्दरी की खड़े होगये और गणिका से पूछा ....... कीमत क्या लेगी? सेठ यहां मोलभाव नहीं होता। ऐसी सन्दरी दुनिया में नहीं मिलेगी। खरीदना हो तो
बोली लगा।
बाईजी| समयबरबादनकरें इस सुन्दरी की कीमत ७५०
स्वर्ण मुद्राएं।
पांच हजार स्वर्ण मुद्राएं।
क्या कहा सेठ? ५००० स्वर्ण मुद्रा ? एक बार फिर
कहना।
इसरूप कीहाट | (हा! पांच में खड़े रहना हजार स्वर्ण Aप्रतिष्ठा के मुद्राएं। मेरेपासविपरीत है। समय नहीं।
जल्दीपूर,है कोई और खरीददार
रूपके जौहरी हैसेठा लेजारूप की रानीको रूप की हाट में तेरे सामने सब कंगले है।
9
Page #12
--------------------------------------------------------------------------
________________
गणिका को ५००० स्वर्ण मुद्राएं देकर चन्दन बाला को बंधन मुक्त कराया । उसे साथ लेकर सेठ तृषभदास अपने रथ की और बठे....
बेटी इस पापनी के जाल में कैसे फंस गई १
क्या नाम
है बेटी ?
10
पिता श्री ! चन्दनबाला
पिताश्री
लम्बी कहानी
है, फिर
कभी बताऊंगी
Page #13
--------------------------------------------------------------------------
________________
चन्दनबाला सोचती है...
इस भद्र पुरुष ने इतनी स्वर्ण मुद्रा देकर क्यों
खरीदा है ?
सच पिता
जी?
बेटी क्या सोच रही है? तेरे कष्ट समाप्त होगये हैं।
TOSH
बेटी। मैं महात्मा महावीर का परम भक्त इंवर्द्धमान महावीर आजकल संसार को सत्य | अहिंसा का उपदेश दे रहे हैं। भारतवर्ष उनकेचरणों में
नत है।
चन्दनबाला केनयनो में श्रमण महावीर का चित्र साकार हो उठा।
रथमहल के समान विशाल भवनकेागे रूका .
MOTIVATA
Page #14
--------------------------------------------------------------------------
________________
सेठ और चन्दनबाला ने भवन में प्रवेश किया। सेठानी ने अपने पति को एक सुन्दर युवती के साथ देखा तो वह बोली ... ... ......
स्वामी!इस घर में दास दासियों की क्या कमीथी, जो एकऔरदासी
ले आये?
ONG
दासी
नही,बेटी लाया
Vos
चन्दनबाळा के दिन सुख से बीतने लगे एक बार सेठ वृषभदास देव दर्शन कर लौटे। सेठ जी ने घर में प्रवेश किया और बोले... ...
बेटी! किसी दास को बुला दे पर घुला दें।
पिता श्री मैं ही ध्रुला देती
Page #15
--------------------------------------------------------------------------
________________
चन्दनबालासेठ के पैर धुलाती है। उस समय उसके
सुन्दर केश सेठ वृषभदासकीगोदमें आगिरे
कासका
सेठ ने चन्दना के बालों को समेटकर उसके कंधे पर फेंक दिये।
बड़े सुन्दर बाल हैं, मेरी बेटी के अच्छा ! ये बात है!
उधर एक दासी समीपही यह सब दरवरही
थी....
13
Page #16
--------------------------------------------------------------------------
________________
दरहट दुष्टा ! मैं क्या अपनेपालको जानती नहीं है।
दासीनेचिन्दनबाला सेठानीसे कहा सेठ जी की पुत्री
के समान नहीं है। मैंने देखा वहचन्दना के बालों की प्रशंसा कर रहे थे...
TELLLL
..... वह धर्मात्मा और पवित्र हैं।
मैं तुम्हारे भले की कह रही हूँ। आंखों देखी बात झूठी नहीं हो
सकती।
Page #17
--------------------------------------------------------------------------
________________
सेठानी के हृदय में शंका बैठ गई, वह सोचने लगी...
कहीं स्वामी चन्दन बाला से विवाह न कर लें । इसे घर से ,निकालना चाहिए।
100000
एक दिन सेठ वृषभदास व्यापारिक कार्यवश बाहर गये
160664
C.
बेटी, बेटी, मुझसे भी छल १
15
मैं व्यापारिक कायौं से बाहर जा रहा हूं। बेटी
चन्दन बाला का ध्यान रखना
Page #18
--------------------------------------------------------------------------
________________
सेठ जी के चले जाने के बाद, सेठानी ने दासियों को बुलाया और चन्दन बाला के बाल काट दिये।
माँ। यह क्या कर रही हो?
माँ! आज तुम्ह क्या हो गया है।
झूठी कहीं की। मैं तेरी माँ नहीं हूं। मेरे पति कोरूपके जाल में फंसा कर मेराघरबरबाद करना चाहती है।
Page #19
--------------------------------------------------------------------------
________________
ऋठी बातें
चन्दनबाला केधुंघराले काले बाल कट चुके हैं...वह दरवी स्वर में कहती
नबनाराज कुमारी होती तोरूपकी
माँ! तुम मुझे समझती क्याहो? पित्ताश्रीकेधार्मिक विचारों के कारण रूकगई।में महाराजचेटक की पुत्री और महारानी चेलना की बहिन
हाट में
बिकती
OD
optiSh
चन्दनबाला को तलघर में लेजाकर बंद कर दिया,मिट्टी के पात्र में खानावपानी रख दिया उसके पास.. मेरे दुर्भाग्य काअन्त महीं। बिना देब दर्शन अन्नजल भी नहीं सकती।
W...
ALLI
TO IN
LunnNTRA
TRIAL
LIALIA
Page #20
--------------------------------------------------------------------------
________________
सेठ बृषभदास यात्रा से लौटे। सेठानी बहुत गंभीर थी। दास-दासियां भय भीत। अजीब वातावरण था... ...
09/
क्या हो गया इस घर को १ कैसी खामोशी छायी है। बेटी चन्दनबाला कला है ?
बेटी बेटी! मुझ से ही झूठ बोलते हो। पता नहीं कहां चली गई ।
३५.९ ९ ९९.९ ९५५०/
क
सेठ जी ने एक पुरानी दासी को बुला कर पूछा
६१९४१
18
hu
चन्दन बाला कहाँ है? सही सही बता । नहीं तो सब नौकरी को जेल भिजवा ढूंगा.......
X
Page #21
--------------------------------------------------------------------------
________________
मेरी पत्नी बड़ी ईर्षालु है।
जेल नहीं जाना है और नौकरी में रहना हो तो सही बता चन्दनुबाला कहां है?
भयभीत दासी नेतलघरकी ओर संकेत किया......
चन्दनबाला के हाथ पैर श्रृंखला से बंचे हैं। सेठ उसे देखकर आश्चर्यकरते है,दुरवीहोते है और कहते
बेटी चिन्ता नकर। मैं लुहार को बुलाकर जंजीरें कटवाता हूं ।
Brototho
MililhiN
Page #22
--------------------------------------------------------------------------
________________
राजपथ की ओर तलघर के खुलने वाळे द्वार को खोल कर बाहर निकल गये। बड़ी फुर्ती से....
ՈՐՍՈ
००००
aa
"मुझे जल्दी से जल्दी लौटना चाहिये ।
उधर राजमार्ग पर श्रमण महावीर आहार को जा रहे हैं।
20
Be
Vares
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
________________
अरे, वर्द्धमान महावीर की जय सुनाई पड़ रही है । मेरा सौभाग्य जगने वाला है। लगता है प्रभु इसी मार्ग पर आ रहे हैं ।
मैं भाग्यवान है। आज प्रभु के दर्शन किये। अर, प्रभु आहार को निकले हैं। यदि मैं अहार दे पाती तो जन्मजन्म के पाप कट जाते
200
Cover
TIM
21
SE
Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________
चन्दनबाला
कच्चे कुटकी के चावल और पात्र में रखे
पानी को देख कर कहती है।
aana
पर युग पुरुष को आहार में क्या
दूंगी ?
22
TOPIED
भगवान महावीर तलघर के द्वार के समीप आते हैं। द्वार पर चन्दनबाला खड़ी है, वह श्रद्धापूर्वक बोली +
हे स्वामी नमस्कार, नमस्कार | आहार जल शुद्ध है।
(Cilx
Page #25
--------------------------------------------------------------------------
________________
श्रमण महावीर के कदम रुके। उन्होंने एक दृष्टि चन्दन बाला पर डाली और सीढियां चढ़ने लगे, तलघर के द्वार तक आये। चन्दनबाला के | अधर पर सुख की मुस्कान बिखर गई ।
मुस्कान देख कर प्रभु लौटे। चन्दन बाला की दुख भरी सिसकी निकली...
मेरा दुर्भाग्य प्रभु द्वार से लौट रहे
हैं ।
23
10
Page #26
--------------------------------------------------------------------------
________________
हे स्वामी नमस्कार-नमस्कार,अहार
जल शुद्ध है।
सिसकी की आवाज सुनकर प्रभु | महावीरलौटे। चन्दन बाला
कुटकीके चावलअंजली में रख रही है और प्रभुउन्हें
खा रहे
चन्दनबालाकी श्रंखलाएं टूट गई,सुन्दर केश पुनःदिखने लगे,सामने भीड़ विस्मयसे देख रही है।
मेरा जीवन सेठजी लहार को लेकर सार्थक होगया लौटे, परन्तु.....यह सब
देखकर बहुत प्रसन्न हुए
PasandAYA
सच्ची शरण तीर्थकर महावीर के चरणों
में है।
अहारकर महावीर लौट रहे हैं चन्दनबाला भी पीके महावीर का अनुकरण कररहीहै...
नारियों पर अत्याचार, उनका क्रय-विक्रय रूपी दुर्भाग्य आज भी पल रहा है। तीर्थकर वर्द्धमान महावीर की करूण अहिंसा,नारी उदार आजकी सबसे बड़ी आवश्यकता है।
GOURSE
2A
Page #27
--------------------------------------------------------------------------
________________
सौ० प्रेमलता पहाड़िया धर्मपनि श्री शिखर चन्द पहाड़िया जयहिन्द इस्टेट नं. २-ए, दूसरा मंजिल, भूलेश्वर, बम्बई -२
PAHARA
O
PAHARIA SILK MILLS PVT. LTD SHIKHARCHAND AMITKUMAR PAHARIA INDUSTRIES PAHARIA TEXTILES CORPORATION PARAS SILK INDUSTRIES SAPNA SILK MILLS SHIKHARCHAND PREMLATA PAHARIA PAHARIA TEXTILES MILLS PVT. LTD PAHARIA TEXTILES INDUSTRIES PAHARIA UDYOG PAHARIA SYNTHETICS VARUN ENTERPRISES ANAND FABRICS PANCHULAL NIRMALDEVI PAHARIA
O
O
Kaushal Silk Mills Put. Ltd.
FACTORY : 875, KAROLI ROAD, OPP. PAHARIA COMPOUND, BHIWANDI, DIST. THANE. TEL : 34243 22819, 22816 FAX : (02522) 31987 REGD. OFF JAI HIND ESTATE NO. 2-A, 2ND FLOOR, DR. A.M. ROAD BHULESHWAR, BOMBAY- 400 002 TEL : 2089251, 2053085 2050996, FAX : 2080231
Page #28
--------------------------------------------------------------------------
________________ जैनाचार्यों द्वारा लिखित सत्य कथाओं पर आधारित / जैन चित्र कथा आठ वर्ष से 80 वर्ष तक के बालकों के लिए ज्ञान वर्धक, धर्म, संस्कृति एवं इतिहास की जानकारी देने वाली स्वस्थ, सुन्दर, सुरुचिवर्धक, मनोरंजन से परिपूर्ण आगम कथाओं पर आधारित जैन साहित्य प्रकाशन में एक नये युग का प्रारम्भ करने बाली एक मात्र पत्रिका जैन चित्र कथा नामा ज्ञान का विकाश करने वाली ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद और चरित्र निर्माणकारी सरल एवं लोकप्रिय सचित्र कथा जो बालक वृद्ध आदि सभी के लिए उपयोगी अनमोल रत्नों का खजाना, जैन चित्र कथा को आप स्वयं पढे तथा दूसरों को भी पढ़ावे / / विशेष जानकारी के लिए सम्पर्क करें। आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थ माला संचालक एवं सम्पादक-धर्मचंद शास्त्री श्री दिगम्बर जैन मंदिर, गुलाब वाटिका लोनी रोड, जि० गाजियाबाद फोन 05762-66074