________________
उसे धर्मशास्त्र पढ़ते देख कर एक सहेली ने पूका ........
क्या पढ़ रही हो राजकुमारी
जी?
पिता श्री ने श्रमण वर्द्धमान महावीर के जीवन की घटनाएं लिखवाई है उन्हें ही पंढ रही हूं।
0
400000
000000
200000
एक सखीने हंसते हुए कहा...
लगता है तूभी सन्यासनी बनेगी।
चलबाग में घूमेंगे, झूलेंगे, गील. गायेंगे।