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श्रमण महावीर के कदम रुके। उन्होंने एक दृष्टि चन्दन बाला पर डाली और सीढियां चढ़ने लगे, तलघर के द्वार तक आये। चन्दनबाला के | अधर पर सुख की मुस्कान बिखर गई ।
मुस्कान देख कर प्रभु लौटे। चन्दन बाला की दुख भरी सिसकी निकली...
मेरा दुर्भाग्य प्रभु द्वार से लौट रहे
हैं ।
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