Book Title: Chandanbala
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 23
________________ अरे, वर्द्धमान महावीर की जय सुनाई पड़ रही है । मेरा सौभाग्य जगने वाला है। लगता है प्रभु इसी मार्ग पर आ रहे हैं । मैं भाग्यवान है। आज प्रभु के दर्शन किये। अर, प्रभु आहार को निकले हैं। यदि मैं अहार दे पाती तो जन्मजन्म के पाप कट जाते 200 Cover TIM 21 SE

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