Book Title: Chandanbala
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 26
________________ हे स्वामी नमस्कार-नमस्कार,अहार जल शुद्ध है। सिसकी की आवाज सुनकर प्रभु | महावीरलौटे। चन्दन बाला कुटकीके चावलअंजली में रख रही है और प्रभुउन्हें खा रहे चन्दनबालाकी श्रंखलाएं टूट गई,सुन्दर केश पुनःदिखने लगे,सामने भीड़ विस्मयसे देख रही है। मेरा जीवन सेठजी लहार को लेकर सार्थक होगया लौटे, परन्तु.....यह सब देखकर बहुत प्रसन्न हुए PasandAYA सच्ची शरण तीर्थकर महावीर के चरणों में है। अहारकर महावीर लौट रहे हैं चन्दनबाला भी पीके महावीर का अनुकरण कररहीहै... नारियों पर अत्याचार, उनका क्रय-विक्रय रूपी दुर्भाग्य आज भी पल रहा है। तीर्थकर वर्द्धमान महावीर की करूण अहिंसा,नारी उदार आजकी सबसे बड़ी आवश्यकता है। GOURSE 2A

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