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सहस्र कमल ( ११ ) मुक्तिनिलय जयकार ॥३॥ ( १२ ) सिद्धाचल ( १३ ) शतकूटगिरि, (१४) ढंकने
१५) कोडीनीवास ॥ (१६) कदंबगिरि ( १७ ) लोहित्यनमो, (१८) तालध्वज (१९) पुण्यराश || ॥ ४ ॥ ( २० ) महाबल ( २१ ) दृढशक्ति सही. ए एकवीशहनाम || साते शुद्धि समाचरी, करीए नित्य प्रणाम ॥ ५ ॥ दग्ध शून्य ने अविधि दोष, अति प्रवृत्ति जेह ॥ चार दोष, छंडी भजो, भक्तिभाव गुण गेह ॥ ६ ॥ माय जन्म पामी करीए, सद्गुरु तीरथ योग || श्री शुभवीरने शासने, शिवरमणी संयोग ॥७॥ ॥ अथ श्री सिद्धचक्रजीतुं चैत्यवन्दन ||
|| श्री अरिहंत उदार कांति, अति सुंदर रूप ॥ सेवो सिद्ध अनंत शांत, आतम गुण भूप ॥ १ ॥ आचारज उवझाय साधु, समता रस धाम ॥ जिन भाषित सिद्धांत शुद्ध, अनुभव अभिराम ॥ २ ॥ बोध बीज गुण संपदाए, नाण चरण तव शुद्ध ॥ ध्यावो परमानंद पद, ए नवपद अविरुद्ध ॥ ३ ॥ इह परभव आनंद कंद, जगमांहि प्रसिद्ध | चिंतामणि सम
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