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प्रस्तावना
हिन्दू मानते हैं कि जब पृथ्वी पर से धर्म का लोप हो जाता है, अधर्म वढ़ जाता है, असुरो के उपद्रव से समाज पीड़ित होता है, साधुता का तिरस्कार होता है, निर्बल का रक्षण नहीं होता, तब परमात्मा के अवतार प्रकट होते हैं । लेकिन अवतार किस तरह प्रकट होते हैं १ प्रकट होने पर उन्हें किन लपणो से पहचाना जाय और पहचान कर अथवा उनकी भक्ति कर अपने जीवन में कैसे परिवर्तन किया जाय, यह जानना आवश्यक है
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सर्वत्र एक परमात्मा की
शक्ति सत्ता ही कार्य कर रही है । हम सब में एक ही प्रभु व्याप्त है । उसी की शक्ति से सब की हलन चलन होती है । राम, कृष्ण, बुद्ध, ईसा आदि में भी इसी परमात्मा की शक्ति थी । तब हममें और रामकृष्णादि मे भी इसी परमात्मा की शक्ति थी । तब हममे और रामकृष्णादि मे क्या अन्तर है ? वे भी हम जैसे ही मनुष्य दिखाई देते थे; उन्हें भी हम जैसे दुःख सहन करने पड़े थे और पुरुपार्थ करना पडा था; इस लिए हम उन्हें अवतार किस तरह कहे ? हजारो वर्ष बीतने पर अब हम क्यों उनकी पूजा करें ?
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