Book Title: Bhuvandipak
Author(s): Bacchu Sharm
Publisher: Gangavishnu Shrikrushnadas
View full book text
________________
संस्कृतटीका-भाषाटीकासमेतः। (३७) वापीकूपतडागादि प्रपादेवगृहाणि च ॥ दीक्षा यात्रा मठं धर्म धर्मानिश्चित्य कीर्तयेत्५१॥ ___ सं०टी०-अथ नवमस्थाननिरीक्षणमाह-वापीकूपौ प्रसिद्धौ । तडाग आखातसरः । प्रपा जलपानस्थानं, देवगृहं, दीक्षा तपस्यारूपा । यात्रा तीर्थसेवा । मठं धर्मशालादि । धर्म धर्मकार्यम् । धर्मात्रवमस्थानानिश्चित्य कीर्तयेत् । परमत्रापि सबले गमनागमनराज्यलाभो वाच्यः ॥५१ ।।
अथे-बावडी, कुंआ, पोखर आदिके निर्माण, प्याऊ, देवताओंके मंदिर आदि, मंत्रग्रहण तीर्थयात्रा, मठ अर्थात् धर्मशाला धर्मसम्बन्धी कार्य इन सबोंको नवम भावसे निश्चय करके कहे विशेष नवम भावसे गमनागमन और राज्यलाभका विचार भी किया जाता है ॥ ११ ॥ राज्यं मुद्रां पुरं पण्यं स्थानं पितृप्रयोजनम् ॥ वृष्टयादिव्योमवृत्तान्तंव्योमस्थानाद्विलोकयेत्५२ __सं०टी०-अथ दशमस्थाननिरीक्षणमाह-राज्यं पट्टाभिषेकादि । मुद्रां राज्यव्यापाररूपाम् । पुरं नगरम् । पण्यं कार्यम् । स्थानं निवसनादिभावि । पितृकार्य होमतर्पणादि । वृष्टयादि वर्षादिकं सर्व व्योमवृत्तान्तं व्योमकार्यम्. व्योम्नः दशमस्थानानिश्चित्य कीर्तयेत् ॥ ५२ ॥
"Aho Shrut Gyanam"

Page Navigation
1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138