Book Title: Bhuvandipak
Author(s): Bacchu Sharm
Publisher: Gangavishnu Shrikrushnadas
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संस्कृतटीका-भाषाटीकासमेतः। (८१) द्वितीयमायियासुश्च चंद्रे केंद्राद्विशेषतः॥
पथिकागमनं ब्रूते मुक्त्वा सप्तमकेन्द्रकम्॥१२॥ ___ सं०टी०-पुनरत्रैव पथिको ग्रामांतरात्कदा समायाति इति पृच्छालग्ने यदि केंद्राद्वितीयस्थानं चन्द्रमा यस्यां वेलायामायाति तदैव पथिकस्थागमनं विशेषतो वक्तव्यम् । परं यदि सप्तमकेन्द्रादष्टमं याति वक्तव्यं मृतमिति विशेषः ॥ ११२ ॥ __ अर्थ-पूर्व कहेहुएमें विशेष लिखते हैं-कि, सातवें केन्द्रको छोडकर अन्य केन्द्र (१-४-१० ) से द्वितीय स्थान (२-५-११)में चंद्रमा हो तो विशेषरूपसे आगमन कहना. सप्तम केन्द्रको छोडनेका अभिप्राय यह है कि, सप्तमस्थानसे अष्टमस्थानमें चन्द्रमा जानेवाला हो तो ग्रामान्तर गये हुए पुरुषको मरण या मरणतुल्य कष्ट आदि कहना ॥ ११२ ॥ इन्दुः सप्तमगो लग्नात्पथिकं वक्ति मार्गगम् ॥ मार्गाधिपश्च राश्यर्धात्परभागे व्यवस्थितः ११३
सं०टी०-पुनरत्रैव विशेषमाह-चन्द्रो लग्नाद्यदि सप्तमें स्थाने भवति तदा पथिकं मार्गस्थं कथयति, तथा सप्तमस्थान मार्गस्तस्याधिपो नवमराश्यधिपो वा राश्य परभागस्थिता
"Aho Shrut Gyanam"

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