Book Title: Bhav Sangrah
Author(s): Devsen Acharya, Lalaram Shastri
Publisher: Hiralal Maneklal Gandhi Solapur

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Page 513
________________ २९८ भाव-सग्रह श्री बिमलेसनगणधर शिष्यो नाम्ना देवसेन इति । अबुधजन बोधमार्थं तेने विरचितं सूत्रम् ।। ७०१ ।। अर्थ- श्री विमलसेन गणघर वा आचार्य के शिष्य श्री दबसन आचार्य ने अज्ञानी लोगों को समझाने के लिये इस भावसंग्रह सूत्र की रचना की है। इस प्रकार अयोग केवली गुणस्थान का स्वरूप कहा । इस प्रकार आचार्य श्री देवसेन विरचित भाव संग्रह ग्रंथ की धर्मरत्न, सरस्वती दिवाकर, पंडित लालाराम शास्त्री द्वारा निर्मित यह भाषा टीका समाप्त हुई।

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