Book Title: Bhaktamara Kalyanmandir Namiun Stotratrayam
Author(s): Hiralal R Kapadia
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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२३८
भत्तिभरेत्यपराह्न पञ्चपरमेष्ठिस्तवनम् ।
पुण अएकचटतपजसत्ति नव वग्गा वण्ण पणयाला । परमिट्ठमंडलकमा पढमंतिमतुरिया तियबीया ॥ १४॥ ससि सुक्के अरिहंता रविमंडल सिद्ध गुरुबुहा सूरी । सरह उवज्झाय के कमेण साहू सणी राहू ॥ १५ ॥ सेयारुणपीयपियंगुवणं कसिणा इवि उविपत्ताई | अंबिलमहुतित्तकसायकडुअ परमिट्ठणो वंदे ॥ १६ ॥ तिहि नंदा अरिहंता भद्दा सिद्धा य सूरिणो विजया । तिहिरित्ता उवज्झाया पुण्णा साहू सुहं दिंतु ॥ १७ ॥ ससिमंगलमरिहंता बुद्धा सिद्धा य सुरगुरू सूरी । सुकोवज्झाय पुणो साहू मंदा सुहंभाणू ॥ १८ ॥ कत्तियचित्तो अरिहा वइसाहो मग्गमास सिद्धा य । पोसो जिट्ठो भद्दव आसोआ सूरिणो सुहया ॥ १९॥ माहासावज्झाया फग्गुणमासो अ सावणो साहू | मम मंगलमरिहंता अचिंत चिंतामणिं दितु ॥ २० ॥ पुंसयरा अरिहंता धणिट्ठापंचगा य सिद्धा य । दिगुरिक्खा आयरिआ नमामि सिरसा य भत्तीए ॥ २१ ॥ अद्दाई जे रिक्खा उवज्झाया तेसि दिंतु गुणनिवहं । चित्ताईसाइ साहू सासय सुक्खं महं दितु ॥ २२ ॥ जैममज (?) अंते अरिहा मेसा मयराय अंतिणो सिद्धा । पंचाणण अलि सूरी धैणमिहुणुज्झायया वंदे ॥ २३॥ कक्कड तुला य साहू दो दह रासी हुँ पंचपरमिट्ठी । भावेण थुणमाणो पावइ सुक्खं च मुक्खं च ॥ २४ ॥ yergy विहट्ठा समयाभेएणं कुण जहाजिहूं । उवरिमतुलं पुरओ नसिज्ज पुवकमो सेसे ॥ २५ ॥ जम्मि निक्खित्तो तह पुणरवि सो चेव अंकविण्णासो । सो होइ समयभेओ वज्जेयबो पयत्तेणं ॥ २६ ॥ इच्छियपयरँगइए नास भासो अभंगपरिमाणं । अंतकभागलद्धं ठवियज्जा पुणपुण धरियं ॥ २७ ॥
१ 'किसिणा विडविएत्ता हिं' इति ख- पाठः । २ 'पुंभसरा' इति ख- पाठः । ३ 'मुक्खं सुहं' इति ख- पाठः । ४ 'कन्ना विसमर' इति ग-पाठः ५ 'घणू य मिड्डणो य उवज्झाया' इति ग-पाठः । ६ 'दु' इति क - पाठः । ७ 'अंकाणं' इति
पाठः ।
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