Book Title: Bhagwan Mahavir Prati Shraddhanjaliya
Author(s): Jain Mitramandal Dharmpur
Publisher: Jain Mitra Mandal

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Page 15
________________ जैन धर्म की प्राचीनता डा० फुहरर जैनियो के रखें तीर्थकर नेमिनाथ ऐतिहासिक पुरुष माने गये हैं। भगवद्गीता के परिशिष्ट में श्रीयुत् वरवे इसे स्वीकार करते हैं कि नेमिनाथ श्री कृष्ण के भाई थे । जब कि जैनियों के २२वें तीर्थकर श्रीकृष्ण के समकालीन थे तो शेष इक्कीस तीर्थकर श्रीकृष्ण के कितने वर्ष पहले होने चाहिये ? यह पाठक अनुमान कर सकते हैं। एपीग्रेफिका इंडिका व्हाल्यूम २ पृष्ठ २०६-२०७॥ डा. ऐन २० बी० संट यूरपियन ऐतिहासिक विद्वानों ने जैन धर्म का भली प्रकार स्वाध्याय नहीं किया इस लिये उन्होंने महावीर स्वामी को जैन धर्म का स्थापक कहा है। हालाँकि यह बात स्पष्ट रूप से सिद्ध हो चुकी है कि वे अन्तिम चौबीसवें तीर्थकर थे। इनसे पहले अन्य तेईस तीर्थकर हुये जिन्होंने अपने-अपने समय में जैन धर्म का प्रचार किया। -~-जैन गजट भा०१० - - - - - - - - - - - - - जैन धर्म ही सच्चा और आदि धर्म है मि० आवे जे० ९० डवाई मिशनरी निःसन्देह जैन धर्म ही पृथ्वी पर एक सच्चा धर्म है और यही मनुष्य मात्र का आदि धर्म है। -डिस्क्रिप्सन ऑफ दी करैक्टर मैनर्ज एण्ड कस्टम्ज ऑफ दी पीपिल ऑफ इण्डिया। । १११

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