Book Title: Bhagwan Mahavir Prati Shraddhanjaliya
Author(s): Jain Mitramandal Dharmpur
Publisher: Jain Mitra Mandal

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Page 17
________________ भगवान महावीर के समय का भारत प्रज्ञाचक्षु पं० योबिन्दराय जी काम्यतीर्थ भगवान महावीर के समय में भारतवर्ष कई स्वतन्त्र राज्यों में बँटा हुआ था जिनमें कुछ गणतन्त्र राज्य थे तो कुछ राजतन्त्र । एक भी ऐमा प्रबल सम्राट न था जिसकी छत्र छाया में समस्त भारत रहा हो। उस समय दक्षिण भारत का शासन वीर चूड़ामणि जीवन्धर करते थे, जो अपने विद्यार्थी जीवन से ही जैन धर्म के अनुयायी और प्रचारक थे। इनके गुरु आर्यानन्दी भी जैनधर्मानुयायी थे । जीवन्धर का समस्त जीवन-वृत्तान्त जैन साहित्य में वर्णित है। ___ मगध देश का शासन महाराजा श्रेणिक बिम्बसार के हाथों में था, जो कुमारावस्था में बौद्ध थे, परन्तु अपनी पटरानी चेलना के प्रभाव से जैनधर्मानुयायी हो गये थे। इनके दोनों पुत्र अभयकुमार और वारीशयन" जैन मुनि होगये थे। सिन्धुदेश अर्थात गङ्गापार में दो राज्य थे। एक राज्य की राजधानी विशाली थी। जहां के स्वामी महाराजा चेटक थे, जो तेईसवें तीर्थकर श्री पार्श्वनाथ के तीर्थ के जैन साधुओं के प्रभाव से बड़े पक्के जैनी थे। उन्होंने यहां तक की प्रतिज्ञा कर रखी थी कि अपनी पुत्रियों का विवाह जैनधर्मावलम्बियों से ही करूंगा। - १. वीर देहली, १७ अप्रैल सन् १९४८ पृ०८। २. 'महाराजा जीवन्धर पर वीर प्रभाव' खण्ड २ । ३-४. ऊपर का फुटनोट नं०१। ५ 'महाराजा श्रेणिक और जैन धर्म' खण्ड । ६. 'राजकुमार अभयकुमार पर वीर प्रभाव खण्ड २ । ७. 'राजकुमार बारीशयन पर वीर प्रभाव' खण्ड २ । [११३

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