Book Title: Bauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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ज्ञान उपवन के महकते पुष्प श्री तेजराजजी गोलछा, बैंगलोर
भारत विविधताओं से परिपूर्ण देश है। चाहे यहाँ के धर्म सम्प्रदाय हो, चाहे प्रकृति, चाहे भाषा या रहन - सहन। हर क्षेत्र में यहाँ वैविध्य दिखाई देता है। यहाँ की प्राकृतिक संरचना ऐसी हैं कि जहाँ सहारा के रेगिस्तान हैं तो Switzerlant और Canada से ठंडे प्रदेश भी । प्राकृतिक सौंदर्य का ऐसा ही अनुपम उदाहरण है फूलों की नगरी बेंगलोर ।
यहाँ पर प्रकृति की सुंदरता का दर्शन ही नहीं होता अपितु धर्म और विज्ञान का भी वर्चस्व दिखाई देता है। यहाँ की मिट्टी में ऐसे कई समन्वित प्रज्ञा पुरुष भी दिखाई देते हैं उनमें एक विरल व्यक्तित्व के धनी हैं मोकलसर निवासी श्री तेजराजजी गोलेछा ।
आप में वैचारिक प्रौढ़ता, दीर्घ दर्शिता, अपार दानवीरता, उदारता के साथ-साथ शासन समर्पण एवं गुरु निष्ठा का भी दिग्दर्शन होता है । व्यावसायिक क्षेत्र में आप उच्च शिखर पर शीर्षस्थ हैं तो धार्मिक एवं सामाजिक संस्थानों में आप अनेक पदों को शोभित कर रहे हैं। आपको इस युग के भामाशाह के रूप में जाना जाता है।
मूलतः श्री तेजराजजी गोलेछा का जन्म मोकलसर में हुआ। वसुधा के समान धीर, गंभीर एवं धर्म स्नेही मातुश्री ने आपको वीर माता के समान सत्संस्कारों से नवाजा। पिता श्री पुखराजजी का नाम समाज के वरिष्ठ श्रावकों में जाना जाता है। आपका चार भाईयों का परिवार है। चारों भाइयों में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न जैसा प्रेम परिलक्षित होता है। आप सभी में ज्येष्ठ हैं परन्तु छोटे भाईयों को सदैव समकक्ष स्थान एवं सम्मान देते हैं।
पूज्य उपाध्याय भगवन्त श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. एवं विदुषी साध्वीवर्य्या श्री हेमप्रभा श्रीजी म.सा. के प्रति आप विशेष रूप से श्रद्धान्वित हैं। उन्हीं के सद्द्बोध द्वारा आपका धर्म मार्ग पर आरोहण हुआ और आज