Book Title: Balavbodh Mokshmala
Author(s): Mansukhlal Ravjibhai Mehta
Publisher: Mansukhlal Ravjibhai Mehta

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Page 170
________________ मोक्षमाळा-पुस्तक बीजं. शिक्षापाठ ९२ तत्त्वावबोध भाग ११. एमज नवतत्त्व संबंधी छे. जे मध्य वयना क्षत्रियपुत्रे "जगत" अनादि छे, एम बेधडक कही कर्त्ताने उडाडयो हशे, ते ते पुरुषे शुं कंइ सर्वज्ञताना गुप्त भेद विना कयु हशे ? तेम एनी निर्दोषता विषे ज्यारे आप वांचशो त्यारे निश्चय एवो विचार करशो के ए परमेश्वर हता. कर्ता नहोता अने जगत् अनादि हतुं तो तेम कर्दा. एना अपक्षपाति अने केवळ तत्वमय विचारो आपे अवश्य विशोधवा योग्य छे. जैन दर्शनना अवर्णवादीओ जैनने नथी जाणता एटले एने अन्याय आपे छे, ने ममत्वथी अधोगति सेवशे. ___ आ पछी केटलीक वातचित थइ. प्रसंगोपात ए तत्व विचारवानुं वचन लइने सहर्ष अमारुं त्यांथी उठवू थयु. .. तस्वावबोधना संबंधमां आ कथन कहेवायु. अनंतभेदथी भरेला ए तत्त्व विचारो काळभेदी जेटला ज्ञेय थाय तेटला जाणवा; ग्राह्य थाय तेटला ग्रहवा; अने त्याज्य देखाय तेटला त्यागवा. एतत्वीने जे यथार्थ जाणं छे ते अनंत चतुष्टयिथी विराजमान थाय छे ए सत्य समजवू; ए नवतत्वनां क्रमवार नाम मूकवामां पण अरधुं सूचवन जीवने मोक्षनी निकटतानुं जणाय छे ! शिक्षापाठ ९३ तत्त्वावबोध भाग १२. एतो तमारा लक्षमा छे के जीव अजीव ए अनुक्रमथी छेवटे मोक्ष नाम आवे छे. हवे ते एक पछी एक मूकी जइए तो जीव अने मोक्षने अनुक्रमे आयंत रहे पडशे.

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