Book Title: Balavbodh Mokshmala
Author(s): Mansukhlal Ravjibhai Mehta
Publisher: Mansukhlal Ravjibhai Mehta

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Page 184
________________ मोक्षमाळा - पुस्तक बीजं• उ. - व्यवहारनयथी सदेव, सद्धर्म, अने सद्गुरुनुं स्वरुप जाणवुं; सद्देवना गुणग्राम करवा; त्रिविध धर्म आचरवो अने निग्रंथ गुरुथी धर्मनी गम्यता पामवी ते. - त्रिविध धर्मकयो ? उ - सम्यग्ज्ञानरूप, सम्यग्दर्शनरूप अने सम्यक् चारित्ररूप. शिक्षापाठ १०५ विविध प्रश्नो भाग ४. प्र. - आवुं जैनदर्शन ज्यारे सर्वोत्तम छे, त्यारे सर्व आत्माओ एना बोधने केम मानता नथी ? उ. - कर्मनी बाहुल्यताथी, मिथ्यात्वना जामेला दळियांथी, अने सत्समागमना अभावथी. प्र. - जैनना मुनियोना मुख्य आचाररूप शुं छे ? उ. - पांच महावृत्त, दशविधि यतिधर्म, सप्तादशविधिसंयम, दशविधि वैयावृत्य, नवविधि ब्रह्मचर्य, द्वादश प्रकारना तप, क्रोधादिक चार प्रकार कषायनो निग्रह. विशेषमां सम्यक्ज्ञान, सम्यक्दर्शन, सम्यक्चारित्रनुं आराधन इत्यादिक अनेक भेद छे. प्र. - जैनमुनियोना जेवांज संन्यासियोनां पंचयाम छे, अने बौद्धधर्मनां पांच महाशील छे. एटले ए आचारमां तो जैनमुनियो अने संन्यासियो तेमज बौद्धमुनियो सरखा खरा के ? उ.- नहीं. म. - केम नहीं ? उ. - एओनां पंचयाम अने पंचमहाशील अपूर्ण छे. महावृत्तना प्रतिभेद जैनमां अति सूक्ष्म छे. पेला बेना स्थूळ छे.

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