Book Title: Balavbodh Mokshmala
Author(s): Mansukhlal Ravjibhai Mehta
Publisher: Mansukhlal Ravjibhai Mehta

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Page 183
________________ ' विविध प्रश्नो भाग ३. शिक्षापाठ १०४ विविध प्रश्नो भाग ३, प्र.-केवली अने तीर्थकर ए बन्नेमां फेर शो ? उ.-केवली अने तीर्थकर शक्तिमा समान छे; परंतु तीर्थकरे पूर्वे तीर्थकर नामकर्म उपायुं छे, तेथी विशेषमां बार गुण अने अनेक अतिशय प्राप्त करे छे. प्र.-तीर्थकर पर्यटन करीने शा माटे उपदेश आपे छे ? ए तो निरागी छे ? उ.-तीर्थकरनामकर्म जे पूर्वे बांध्युं छे ते वेदवा माटे तेओने अवश्य तेम करवू पडे छे. प्र.-हमणां प्रवर्ते छे ते शासन कोर्नु छे ? उ.-श्रमण भगवन् महावीरनु. प्र.-महावीर पहेलां जैनदर्शन हतुं ? . प्र-ते कोणे उत्पन्न कर्यु हतुं? उ.-ते पहेलाना तीर्थकरोए. प्र.-तेओना अने महावीरना उपदेशमा कइ भिन्नता खरी के ? ... उ.-तत्त्वस्वरुपे एकज छे. भिन्न भिन्न पात्रने लइने उपदेश होवाथी अने कंइक काळभेद होवाथी सामान्य मनुष्यने भिन्नता लागे खरी; परंतु न्यायथी जोतां ए भिन्नता नथी. . . प्र.-एओनो मुख्य उपदेश शुंछे ? उ.-आत्माने तारो आत्मानी अनंतशक्तियोनो प्रकाश करो. एने कर्मरुप अनंत दुःखथी मुक्त करो ए. म.-ए माटे तेओए कयां साधनो दर्शाव्यां छे ?

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