Book Title: Balavbodh Mokshmala
Author(s): Mansukhlal Ravjibhai Mehta
Publisher: Mansukhlal Ravjibhai Mehta
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तत्त्वावबोध भाग १२.
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१३५
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जीव अजीव. पुण्य. .
पाप.
आश्रव. संवर. निर्जरा, बंध.
मोक्ष.
आगळ कहेवायुं छे के, ए नाम मूकवामां जीव अने मोक्षने निकटता छे. छतां आं निकटता तो न थइ? पण जीव अने अजीवने निकटता थइ. वस्तुतः एम नथी. अज्ञानवडे तो ए बनेनेज निकटता रही छे पण ज्ञानवडे जीव अने मोक्षने निकटता रही छे जेमके:
| अजीव
आश्रव
नवतत्वनामकचक्र.
मोक्ष / वश
. हवे जुओ ए बनेने कंइ निकटता आवी छे ? हा कहेली निकटता आवी गइ छे. पण ए निकटता तो द्रव्यरुप छे. ज्यारे

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