Book Title: Balavbodh Mokshmala
Author(s): Mansukhlal Ravjibhai Mehta
Publisher: Mansukhlal Ravjibhai Mehta
View full book text
________________
मोक्षमाळा-पुस्तक बीजं. ४. द्रव्य भावे जीवनी उत्पत्ति असिद्ध थइ ए चोथो दोष गयो.
५. अनादि जीव सिद्ध थयो एटले उत्पत्ति संबंधीनो पांचमो दोष गयो.
६. उत्पत्ति असिद्ध थइ एटले कर्ता संबंधीनो छठो दोष गयो.
७. ध्रुवता साथे विघ्नता लेतां अबाध थयुं एटले चार्वाक मिश्रवचननो सातमो दोष गयो.
८. उत्पत्ति अने विघ्नता प्रथक् प्रथक् देहे सिद्ध थइ माटे केवळ चार्वाकसिद्धांत ए नामनो आठमो दोष गयो.
१४. शंकानो परस्परनी विरोधाभास जतां चौद सुधीना दोष गया.
१५. अनादि अनंतता सिद्ध थतां स्याद्वादवचन सत्य थयु ए पंदरमो दोष गयो.
१६. कर्ता नथी ए सिद्ध थतां जिनवचननी सत्यता रही ए सोळमो दोष गयो.
१७. धर्माधर्म, देहादिक पुनरावर्तन सिद्ध थतां सत्तरमो दोष गयो.
. १८. ए सर्व वात सिद्ध थतां त्रिगुणात्मक माया असिद्ध थइ ए अढारमो दोष गयो.
शिक्षापाठ ९१ तत्त्वावबोध भाग १०.
आपनी योजेली योजना हुँ धाएं छु के आथी समाधान पामी हशे. आ कंइ यथार्थ शैली उतारी नथी, तोपण एमां कंइ पण विनोद मळी शके तेम छे. ए उपर विशेष विवेचनने माटे बोहोळो वखत जोइए एटले वधारे कहतो नथी; पण एक बे टुंकी वात आपने कहेवानी छे ते जो आ समाधान योग्य थयुं होय तो कहुं.

Page Navigation
1 ... 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188