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तस्वीर परिचय प्रतिदिन १०८ लोगस्स, १०८ उवसग्गहरं स्तोत्र, १०८ नवकार, जिनपूजा, नवकारसी-चौविहार, सामायिक आदि आराधना करनेवाली महाराष्ट्रीयन बालिका कु. मीनाबहन (उ. व. १५) एवं उसके संस्कारदाता, पालक माता-पिता पुष्पाबहन एवं जगजीवनभाई शाह इत्यादि । (शायन-मुंबई) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-१ दृष्टांत नं. ७९)
(१) १६ उपवास के पारणे १६ उपवास (सोलहभत्ता) से वर्षीतप
एवं अछाई के पारणे अाई से वर्षीतप, १०८ उपवास आदि के महातपस्वी सुश्राविका श्री सरस्वतीबेन जसवंतलाल कापड़िया (कतारगाम (सुरत) गुजरात) (बहुरत्ना वसुंधरा
भाग-२, दृष्टांत नं. १६७) (२) बचपन से असाध्य बीमारी से ग्रस्त होते हुए भी
पंचप्रतिक्रमण, ४ प्रकरण, ३ भाष्य, ६ कर्मग्रंथ, तत्त्वार्थसूत्र, संस्कृत-प्राकृत बुक आदिके अभ्यासी एवं धार्मिक पाठशाला के अध्यापिका कु. मयणाबेन विलासभाई शाह (बारामती
महाराष्ट्र) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं. १८२) (३) करोड़ नवकार के आराधक, नि:स्पृह विधिकार श्री
केशवजीभाई धारसी गडा (कच्छ-रायघणजार, हाल मुलुंडमुंबई) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं. १२४)
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