Book Title: Arbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain

View full book text
Previous | Next

Page 740
________________ अभिप्रायो (५) आबू ( प्रथम भाग ), लेखक - शान्तमूर्ति श्रीमद जतन्तविजयजी महाराज, प्रकाशक शेठ कल्याणजी परमानन्दजी की पेढी, सिरोही. मूल्य रु. २ || ) आबू - देलवाडा के जैनमंदिर, कारीगरी के लिये संसारभर में अनुपम और सुन्दर हैं । ये मंदिर संसार के शिल्प - साहित्य । में अद्वितीय हैं । इस तीर्थ की उत्पत्ति का इतिहास भी बड़ा गौरवमय है । आबू पर के सब जैन, शैव और वैष्णव तीर्थों का वर्णन मय चित्रों के दिया गया है। साथ ही साथ सुंदर - देखने यौग्य - प्राकृतिक स्थानों के चित्र मय वर्णन के दिये गये हैं । चित्र संख्या ७४ के हैं । फिर भी इसका मूल्य रु. २॥ ही रक्खा गया है । सारा ग्रंथ ऐतिहासिक सामग्री से परिपूर्ण है । इसके लिए लेखक व प्रकाशक दोनों धन्यवाद के पात्र हैं । आबू देलवाडा के मंदिरों को देखने युरोपियन लोग अधिक संख्या में आते हैं और वे सब चित्रकारी को जानना चाहते हैं । परन्तु कोई साहित्य उपलब्ध न होने से वे उस विषय में सच्ची हकीकत नहीं जान सकते हैं । हमारा देलवाडा जैनमंदिर कमेटी के सदस्यों से निवेदन है कि वे बहुत शीघ्र इस का अंग्रेजी भाषान्तर प्रकाशित करें, ताकि इन मंदिरो कि प्रसिद्धि अधिक हो । Jain Education International ૬૧૯ " वीर " (मासिक) महावीर अंक. ( ' साहित्य दिग्दर्शन ' में से उद्धृत. ) मु. अलीगंज ( एटा ) ( ६ ) प्रकाशक आबू ( गुजराती ) : लेखक- मुनि श्री जयन्तविजयजी, श्री० विजयधर्मसूरि जैन ग्रंथमाला, छोटा सराफा उज्जैन ( मालवा ), पृष्ठ संख्या २९६, मूल्य २ || ) . For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762