Book Title: Arbud Prachin Jain Lekh Sandohe Abu Part 02 Author(s): Jayantvijay Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthamala Ujjain View full book textPage 7
________________ से “ यशोवीर बडा भारी विद्वान था और वह जालोर के · चौहानों का मंत्री था " इतना तो ज्ञात हुआ था, परन्तु आपके भेजे हुए फर्मों की लेख संख्या १५०, १५१ से उसका विशेष हाल ज्ञात हुआ जिससे मेरे आनन्द की सीमा न रही । आपके इस अगाध श्रम की कहांतक प्रशंसा की जावे । x x x अजमेर, ता. ६-८-१९३६ xxx आज मध्याह्न में आपके भेजे हुए ' अर्बुद-प्राचीनजैन-लेखसन्दोह' के ५ से १६ तक के फार्म मिले, जिससे इतना आनन्द हुआ कि ४९७ तक के सब लेख सरसरी तौर से पढ लिए तभी तृप्ति हुई । अनुवाद तथा अवलोकन अब पढूंगा । आपका श्रम बहुत ही सराहनीय है और आप जैसे महापुरुष ही एक स्थल में कुछ दिन रहकर ऐसा अनुपम काम कर सकते हैं । आपके श्रम की कहां तक प्रशंसा की जावे। जो विद्वान् इस प्रकार का थोडा बहुत श्रम करते हैं वे ही आपके इस महान् श्रम का मूल्य समझ सकते हैं । आगे के फर्म जिस तरह छपते जावें उस तरह कृपाकर आप उन्हें मेरे पास भिजवाते रहे । xxx अजमेर, ता० ७-१२-३६ xxx आपके भेजे हुए आगे के फार्म पहूंच गये हैं । आशा है अब आगे के फार्म भी ज्यों ज्यों छपते जायेंगे, भिजवाते रहेंगे। आपका श्रम अकथनीय है और शोधकवर्ग के लिये बहुत ही महत्त्व का है। xxx ___ महामहोपाध्याय रावबहादूर, पंडित गौरीशंकरजी हीराचंदजी ओझा क्युरेटर, राजपुताना म्युझियम, अजमेर. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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