Book Title: Appa so Parmappa Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay View full book textPage 4
________________ समर्पणसमन जिन्हें अपनी सत्ता पर विश्वास है, और जो विकास के अनन्त स्वप्न संजोए, निरन्तर अभ्युदय वे पथ पर बढ़ना चाहते हैं, जिन्हें और जिन्हें खोज है, आत्मानुभूति से परम शान्ति, परम ज्योति की उन्हीं आत्मा से परमात्मा के यात्रापथ पर गतिशील आत्म-बंधुओं को -उपाचार्य देवेन्द्र मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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