Book Title: Apbhramsa Vyakarana Hindi Author(s): H C Bhayani Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 8
________________ अनुक्रम v-iv vii 1-56 १-१९ उपक्रम प्रास्ताविक अनुक्रम भूमिका २. अपभ्रंश साहित्य आरंभ और मुख्य साहित्य स्वरूप. संधिबंध. स्वयंभूदेव. पउमचरिय. रिठणेमिचरिय. पुष्पदंत, महापुराण. चरितकाव्य. पुष्पदंतोत्तर चरितकाव्य. चरितकाव्यों की सूचि. कथाकोश. रासाबध. खंड विभाजनरहित महाकाव्य. धार्मिक तथा आध्यात्मिक कृतियाँ. प्रकीर्ण कृतियाँ और उत्तरयुगीन प्रवाह. संधि संदेशरासक. कर्ता. वस्तु. स्वरूप २. अपभ्रंश भाषा अपभ्रश के स्वरूप विषयक प्राचीन उल्लेख. अपभ्रश के स्वरूप की विचारणा परिशिष्ट १६-१९ २०-२९ . .. २४-२९ ... ३०-३१ ३२-५३ ३. हेमचंद्रीय अपभ्रंश ध्वनि विकास. अपभ्रश के लाक्षणिक ध्वनिवलण. छंदोमूलक परिवर्तन. आख्यातिक अंग. संयोजक स्वर. निर्देशार्थ वर्तमान. निर्देशार्थ भविष्य. आज्ञार्थ वर्तमान. आज्ञार्थ भविष्य. कृदंत. शब्दसिद्धि. कृत्प्रत्यय. तद्धित प्रत्यय. नामिक रूपतत्र. अकारांत पुल्लिंग. नपुंसकलिंग. इकारांत-उकारांत. स्त्रीलिंग. सार्वनामिक रूप. पर सर्ग. प्रयोग. उपस हार. सूत्र, वृत्ति, शब्दार्थ, छाया, अनुवाद टिप्पणी परिशिष्ट शब्दसूची १-१३१ १२८-१६८ १६९-१७३ १७४-१९६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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