Book Title: Anusandhan 2010 06 SrNo 51
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 12
________________ ८ ढा. २ गा. १८ गोटा = कोपराना गोटा ढा. ३ गा. ३ चूहले तरूं = चूल्हानो / चूल्हा माटेनो ढा. २ गा. ३४ धोणी-नो अर्थ नाहवुं कर्यो छे, पण नहावानी वात आगळ आव होवाथी धोणी = धोवुं समजवुं जोइए. कडी ४ ५९ ९० ११८ २६३ (२) श्रीमल्लिनाथनो रास मुद्र सुर म्हारी धो हाथ्य न छइ नई प्रश्नचिह्न करेला स्थाने सम्भवित अर्थ कडी ५५ चम्पानो धणी दूतो ? मोकल - चम्पानो राजा दूत मोकले छे. कडी ६० स्त्रीअक्रपा रोवत शणगार ? बीहीकिं नवी छंडइ व्रतभार - प्रतिकूल उपसर्ग) व्रतभार छोडतो नथी. कडी ७७ ए मलीनो हइ लुघ (ध?) भुप ? - हे राजन् ! ए मल्लीकुमारीनो लुब्धो लागे छे. कडी ९० सुतनुं (नुं ?) सीस वडारीउं शिरि हायन लागो अनुसन्धान ५१ - स्त्रीनी नाराजगी, रुदन, शणगार व थी के बीकथी ( अर्थात् अनुकूल के सम्भवितपाठ सुरम्हा हरी घणो शब्दकोश अंगे कडी ४० 'सेय' नो अर्थ स्वेद नहीं, पण शय्या होय. कडी ६० ‘विरि’ नो अर्थ वैरी नहीं, पण वीर होय. कडी ७६ 'धव्य' नो अर्थ धावमाता थाय. कडी २१२ 'सधइणा' नो अर्थ सद्दहणा हाथ्यन छइनइं अहीकणि = श्रद्धा होइ शके. - शङ्करे पोताना दीकरानुं माथुं कापीने तेनी जग्याए हाथीनुं मस्तक लगाड्युं.

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