Book Title: Anusandhan 2008 03 SrNo 43
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
अनुसन्धान ४३ .
नमस्तेऽन्तरङ्गारिविध्वंसवीर !, नमस्ते नमस्ते सुपर्वाद्रिधीर ! नमस्ते महानन्दमाकन्दकीर !, नमस्ते नमस्ते शुगप्पित्तनीर ! ॥ २ ॥ नमस्ते नमनाकिनाथस्तुताय, नमस्ते नमस्ते शिवश्रीयुताय । नमस्तेऽघतापस्फुरच्चन्दनाय, नमस्ते नमस्ते जनानन्दनाय नमस्ते महामोहमातङ्गसिंह !, नमस्ते नमस्ते हतानागरंहः (हताऽनङ्गरंह !) । नमस्ते सुधासिन्धुजिद्वाग्विलास ! नमस्ते नमस्ते शिवश्रीनिवास ! ॥ ४ ॥ नमस्ते तमस्तोमनि शनांशो !, नमस्ते नमस्ते सुधीदृक्सुधांशो ! । नमस्ते समस्तावलोकावबोध !, नमस्ते नमस्ते कृतक्रोधरोध ! ॥ ५ ॥ नमस्ते सुधारश्मिरम्याननाय, नमस्ते नमस्ते समस्तावनाय । नमस्ते गुणव्याप्तदिग्मण्डलाय, नमस्ते नमस्ते नताखण्डलाय ॥ ६ ॥ नमस्ते भजे पादपद्मं त्वदीयं, नमस्ते नमस्ते क्षिपाऽघं मदीयम् । नमस्ते विभो ! पाहि मं(मां) दासदासं, नमस्ते नमस्ते तनु स्वाङ्कवासम् ॥ ७ ॥ श्रीसङ्घहर्षसुविनेयकधर्मसिंहपादारविन्दमधुलिण्मुनिरत्नसिंहः !
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88