Book Title: Anusandhan 2008 03 SrNo 43
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 57
________________ मार्च २००८ बहु धरमी धन्य बगसरूं रे, जिहां संघ सहु सुखकंद, दोसी खीमासुत सोभता रे, कहुं केसवजी कुलचंद, गुण .... ३ धर्मधुरंधर मोदी मेघजी रे, वली बुद्धि भली रणछोड, हेम समोवडि दीपे हेमसी रे, सधराज पुरे मन कोडि, गुण ... ४ संघ मांहि सोभागी जांणीयें रे, भला डुंगर ने मोरारि, पीतांबर मालव जागजी रे, वली प्रेमो जसाणी सार, गुण ... ५ सुखकारण जीवो संघवी रे, धरे पूंजो श्रीजिन ध्यांन, . व्यापारी वीचंद जांणीयें रे, बहुं मेलजी क्रमसी मांन गुण ... ६ इम संघ सहु मिल्या सांमटा रे, जाणे सूरति केरो संघ, वाजित वाजे गुलाल ऊडे घणा रे, एक सुरपद पाम्या गंग गुण... ७ जांम में जेठवो जाणता रे, वली झालावाडे राजि कहुं नरपति वली केटला रे, ते माने तुम लाज, गुण ... संघ सहु तुम चाहता रे, वली अवर कहुं अणपार, सास्त्र कही तसुं रीझवे रे, ताहरी वांणीना बलिहार, गुण ... ९ तेज झलांमल भालनो रे, तोरी कुंकुमवरणी काय, चऊद विद्यागुण सागरु रे, एहवो नर पेदा नही थाय, गुण ... १० हालारनो पति रीझीयो रे, कहे ल्यो मनवंछित दाम, गंग कहे नही लीउं राजीया रे, माहरे जीवदयासं काम, गुण ... ११ सतरसडसठ्यो सोहामणो रे, रह्यो पोरबिंदर चोमास, रांणो रीझ्यो गुण देखिने रे, कहे पूरं तुमारी आसि, गुण ... सुणि बरडापति राजीया रे, हूं मागुं वचन मयाल, लेख लखी आपो मुझनें रे, कोई खाडी न नाखे जालि, गुण ... १३ राणो कहे धन धन तुं रषी रे, तुझ सम अवर न कोय, धर्मपडो वजडाव्यो सहेरमां रे, जेम जीव न मारे कोय, गुण ... १४ एम धन धरमनो बांधीयो रे, वली जे जे थयो जस वास, गुणरतनें भर्या गांगजी रे, तुमें पांमज्यो शिवपुर वास, गुण .... सतरछोंतेरे श्रावण ऊजली रे, पांचिमनें भृगुवार, बगसर सहेर सोहांमणो रे, जिहां संघ सहु सुखकार, गुण ... १६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88