Book Title: Anusandhan 2008 03 SrNo 43
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
अनुसन्धान ४३ ।
गुरु लिखमीचंद गाजता रे, तसु सेवक गंग सुजाण, गुण गाया गुरुदेवना रे, मुनि शिवजी कहे शुभवांणि, गुण ... १७ ।
॥ इति गुरुदेवनी भास सम्पूर्णम् ॥
महानन्दमुनिकृत जगजीवन ऋषि-विज्ञप्ति भास - १ आघा आम पधारो पूज्य० ए देसी (शी)
सरसति सामणि पहलां प्रणमी, श्रीगुरुपद सिरनामी संघ सकलनी सानिध सेती, गावू श्री गणस्वामी
वहैला पूज्य पधारो राजि श्री संघ अरज करें , ... १ रे पंथी ! तू जाज्ये पेंहलो, भावनगर परचारी, जिहां गछनायक गिरुआ विचरे, श्री जगजीवन जयकारी ...२ चोरासी गछचंद बीराजें, गछनायक गुणें गाजें, श्रीजगरूप तणे पट छाजें, करम अरिदल भाजें जोईता नंदन जय जगवंदन, ओसवंश अवतारी, रतनादे उररत्न कहायो, इल माहें उपगारी पंच सूमते सूमता स्वामी, गुपति गुपित विहारी, वाडि वीसूघे ब्रह्मचर्य पालें, क्रोध कसाय नीवारी आगम अंगोपांगें आखें, उपसमरसनी वांणी, दया धर्मनी देशन दाखें, अधीक भाव मन आंणी धन्य नगर-पुर सुंदर सोहें, धन्य धरा धनवंती, धन्य मानव जे नित्य प्रति वंदें, चरणकमल मनखंती ... ७ तुम गुंण कुसुम तणा परिमलथी, मन भमरा अति मोह्या दरसणनी उतकंठा जागी, करम सकल खल खोया ... ८ श्रीपालणपुर संघ शिरोमणी, विनय ववेक विचारी, दांन दया गुंण-व्रतना धारक, साधू सकल हितकारी ... ९
... ५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88